सावन सोमवार 2023:सावन का अंतिम सोमवार और प्रदोष व्रत आज,इस शुभ मुहूर्त करें महादेव के पूजन

चंडीगढ (आज़ाद वार्ता)

सावन के महीने में सोमवार के दिन व्रत कर महादेव की अराधना की जाती है और आज सावन का अंतिम सोमवार है. क्योंकि 31 अगस्त 2023 को सावन का सावन का महीना खत्म होगा और भाद्रपद माह शुरू होगा।
पंचांग के अनुसार आज यानि 28 अगस्त को सावन के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है और इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. सावन सोमवार व्रत और प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शिव को समर्पित हैं. इस​ दिन व्रत व पूजा करने से जातकों के सभी दुख दूर होते हैं और महादेव अपनी कृपा बरसाते हैं. आइए जानते हैं सावन के अंतिम सोमवार और प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त.

बन रहे हैं कई शुभ संयोग

पंचांग के अनुसार सावन का आखिरी सोमवार व्रत और अंतिम प्रदोष व्रत बेहद ही खास है. इस दिन कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं और यदि इन मुहूर्त में महादेव का पूजन किया जाए तो व्यक्ति को सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आज यानि 28 अगस्त को सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक आयुष्मान योग रहेगा. फिर सुबह 9 बजकर 56 मिनट से पूरी रात सौभाग्य योग रहेगा. इसके अलावा मध्यरात्रि 2 बजकर 43 मिनट से लेकर अगले दिन 29 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. कहते हैं कि अगर शुभ मुहूर्त में कोई पूजा पाठ किया जाए तो वह शुभ फल प्रदान करता है.
सोम प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त

सावन सोमवार व्रत के दिन सुबह के समय महादेव को रुद्राभिषेक किया जाता है. वहीं प्रदोष व्रत में शाम के समय प्रदोष काल में महादेव का पूजन करना शुभ माना गया है. आज प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 48 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.

प्रदोष व्रत पूजा विधि

आज सावन के महीने में आने वाला अंतिम प्रदोष व्रत है और इस दिन महिलाएं सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना से व्रत करती हैं और शाम के समय यानि प्रदोष काल में महादेव का विधि-विधान से पूजन करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और इस दिन यदि उनका पूजन किया जाए तो वह अपने भक्तों को निराश नहीं करते. सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव समेत पूरे शिव परिवार का पूजन करना शुभ होता है. प्रदोष काल में भोलेनाथ का गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करना चाहिए. इसके बाद उन्हें भांग, बेलपत्र, धतूरा और आंकड़े का फूल अर्पित करना चाहिए. फिर घी का दीपक जलाएं और भोग लगाएं.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. आज़ाद वार्ता न्यूज पोर्टल इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *