चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद पंजाब में चुनावी तस्वीर बदलती दिख रही है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में अगले साल की शुरुआत में ही चुनाव होने वाले हैं। पीएम नरेंद्र मोदी का फैसला यूं तो पूरे देश में असर डालने वाला है, लेकिन पंजाब में सियासी समीकरण बदलते दिख सकते हैं।
इससे पंजाब का चुनावी समर चतुष्कोणीय हो सकता है। फिलहाल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, अकाली दल और बीएसपी का गठबंधन चुनावी समर में हैं। लेकिन अब कानूनों की वापसी के बाद मुकाबला चतुष्कोणीय हो सकता है। दरअसल कानून वापसी के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह और भाजपा मिलकर चौथा मोर्चा बन सकते हैं।
भाजपा और कैप्टन मिलकर नई ताकत बनकर उभरे
लंबे समय तक पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल के बीच दो ध्रुवीय मुकाबला ही होता रहा है, लेकिन 2017 में आम आदमी पार्टी तीसरे मोर्चे के तौर पर आई थी। इसके बाद अब भाजपा और कैप्टन मिलकर नई ताकत बनकर उभरे हैं।
साफ है कि 2022 का चुनाव काफी रोचक होने वाला है। 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा के चुनाव में 2017 कैप्टन अमरिंदर सिंह की लीडरशिप में कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके अलावा आम आदमी पार्टी 20 सीटें हासिल करके दूसरे स्थान पर आई थी, जबकि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा को महज 18 सीटें ही मिल पाई थीं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से अलग हो चुके हैं
अब 5 साल बाद पंजाब की चुनावी तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से अलग हो चुके हैं और भाजपा भी अकाली दल का साथ छोड़कर किसी नए साथी की तलाश में है। अब तक कृषि कानूनों के खिलाफ तीखे विरोध के चलते भाजपा राज्य में एंट्री की स्थिति में भी नहीं थे।
लेकिन अब बिलों की वापसी के बाद वह कैप्टन अमरिंदर के साथ मिलकर उतरने की तैयारी में है। चुनावी रणनीतिकारों के मुताबिक राज्य में हिंदू समुदाय के लोगों पर फोकस करके उतर सकती है। इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रभाव का भी वह इस्तेमाल करने की कोशिश करेगी।