उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा में बदल सकती हैं ये चीजें, पार्टी लीडरशिप ने पहले ही दिए संकेत
उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में 5 राज्यों के साथ होने वाले विधानसभा चुनावों को 2024 के आम चुनाव के लिए भी अहम माना जा रहा है। खुद गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में 2024 में मोदी सरकार के सत्ता में वापस आने के लिए इसे अहम बताया था।
लेकिन यूपी चुनाव के परिणाम इससे कहीं दूरगामी होंगे। इसका असर एक तरफ देश की सियासत पर देखने को मिलेगा तो वहीं भाजपा की आंतरिक राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पिछले ही सप्ताह दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में भी इस बात के संकेत मिल चुके हैं।
इस बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे आमतौर पर राष्ट्रीय नेता ही पेश करते रहे हैं। उनकी ओर से प्रस्ताव पेश किए जाने को पार्टी में उनके बढ़ते कद के तौर पर देखा गया। इसकी एक वजह यह भी थी कि मीटिंग में चुनावी राज्यों से आने वाले वह अकेले सीएम थे, अन्य सभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही जुड़े थे। मीटिंग के बाद इस बाबत पूछने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा था कि सीएम योगी देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले सूबे के मुखिया हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री के तौर पर भी उनका रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है।
स्टार प्रचारक के तौर पर बढ़ी है योगी आदित्यनाथ की मांग
साफ है कि सीएम योगी आदित्यनाथ का कद भाजपा में बीते कुछ सालों में बढ़ा है। भाजपा शासित दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के मुकाबले वह देश भर में ज्यादा चर्चित दिखे हैं और बंगाल से लेकर असम तक चुनावों में स्टार प्रचारक के तौर पर उन्हें बुलाया जाता रहा है। यही नहीं हैदराबाद के नगर निगम तक में स्टार प्रचारक के तौर पर उनकी मांग ने दिखाया है कि उनकी लोकप्रियता यूपी के बाहर भी है। ऐसे में यदि वह अपनी लीडरशिप में यूपी में भाजपा को जीत दिलाते हैं तो इससे उनका सियासी कद काफी बढ़ जाएगा। यही नहीं भाजपा में वैकल्पिक नेतृत्व के लिहाज से भी वह एक बड़ा चेहरा होंगे।
मोदी-योगी-जयश्री राम जैसे लग रहे नारे, राष्ट्रीय नेताओं के क्लब में एंट्री
यूपी में बीते कई महीनों से मोदी, योगी, जय श्रीराम जैसे नारों की गूंज दिखाई देती है। मोदी के साथ योगी का नाम लिया जाना बताता है कि कार्यकर्ताओं में उनकी किस हद तक स्वीकार्यता है। ऐसे में मोदी के बाद भाजपा में वैकल्पिक नेतृत्व की जब चर्चा होती है तो दबी जुबान ही सही, लेकिन अकसर लोग योगी का नाम लेते दिखते हैं। ऐसे में यूपी का चुनाव बेहद अहम हो गया है और यहां मिली जीत योगी आदित्यनाथ के कद को बढ़ा देगी।
चुनाव से चलेगा पता, कितनी करिश्माई है योगी की छवि
भाजपा ने 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव बिना किसी चेहरे के ही लड़ा था। लेकिन इसके बाद लंबी चली जद्दोजहद के बाद योगी आदित्यनाथ को सीएम के लिए चुना गया था। भाजपा ने तब इस फैसले से चौंका दिया था और गोरखपुर के सांसद रहे योगी ने विधान परिषद से आकर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। बिना विधानसभा लड़े वह तब सीएम तो बन गए थे, लेकिन यह पहला मौका है, जब उनके चेहरे पर चुनाव लड़ा जाना है। ऐसे में 2022 का विधानसभा चुनाव भाजपा के अलावा सीएम योगी के करियर का भी फैसला कर देगा।