कृषि कानून वापस होने के बाद पंजाब में खुल कर सामने आने लगे सियासी दल, भाजपा ने बनाई खास रणनीति

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तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले के बाद पंजाब में अब तक खुलकर मैदान में निकलने से हिचक रही पार्टियों को बड़ी राहत मिली है।

राज्‍य में खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को राज्‍यभर में किसानों के विराेध का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन, अब भाजपा व शिअद के साथ ही अन्‍य पार्टियों ने भी राहत की सांस ली है। दरअसल अगले वर्ष होने वाले आम विधानसभा चुनाव के कारण सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता आजकल हलकों में जाकर रैलियां कर रहे हैं, जिस कारण आए दिन उनका किसान संगठनों के साथ टकराव हो रहा था।

कांग्रेस व शिअद ने बढ़ाई फील्ड में सक्रियता, भाजपा भी बूथ स्तर पर चलाएगी अभियान

तीन कृषि कानूनों के विरोध के कारण भारतीय जनता पार्टी के नेता पिछले एक साल से ही किसान संगठनों के निशाने पर थे। किसान संगठनों ने भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध करने का एलान सितंबर महीने में ही कर दिया था। प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा पर दो बार हमला हुआ। पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद के घर के बाहर गोबर का ढेर लगा दिया गया। अबोहर में विधायक अरुण नारंग के कपड़े फाड़ कर उनके साथ मारपीट गई।

बिना सुरक्षा कर्मियों के घूम रहे भाजपा नेता, किसान संगठन नहीं कर रहे विरोध

पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला और शिअद के अध्यक्ष सुखबीर बादल के काफिले पर भी पथराव किया गया। कांग्रेस के भी कई विधायकों और मंत्रियों के कार्यक्रमों में किसानों ने विरोध जताया था। यही नहीं कई भाजपा नेताओं के घरों के बाहर किसानों ने पक्का मोर्चा लगा दिया, जो अब तक हटा नहीं है। इसी कारण पार्टी ने सार्वजनिक तौर पर की जाने वाली रैलियों को बंद कर दिया था, लेकिन एक हफ्ते पहले प्रधानमंत्री की ओर से तीनों कृषि कानून रद करने के बाद से अब भाजपा के नेता बिना सुरक्षा कर्मियों के घूम रहे हैं और किसान संगठन भी उनका विरोध नहीं कर रहे हैं।

कई नेताओं के घरों के बाहर पक्का मोर्चा जारी, लेकिन अब टकराव नहीं

यही देखते हुए भाजपा ने अब सभी 117 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर पर अभियान छेड़ने का कार्यक्रम बनाया है। सही स्थिति का अंदाजा लगाने लिए इन दिनों पार्टी के नेता विभिन्न विधानसभा हलकों में जा रहे हैं। इसके बाद ही पार्टी कोई बड़ी रैली करेगी। आदि की योजना बनाएगी।

भाजपा के अलावा शिरोमणि अकाली दल को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था। किसान इस बात से नाराज थे कि उनका आंदोलन चल रहा है और अकाली दल के नेता रैलियां करके उनके लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जिससे उनका आंदोलन कमजोर हो रहा है। पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने अपने कई विधानसभा हलकों के कार्यक्रम किसानों के विरोध के कारण रद किए। अब एक बार फिर से उन्होंने रफ्तार पकड़ ली है।

कांग्रेस के लिए शिक्षक संगठन बन रहे परेशानी

सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं ने भी किसान संगठनों का विभिन्न हलकों में विरोध सहने के बाद रफ्तार तो जरूर पकड़ी है, लेकिन उनके लिए शिक्षक यूनियनों के आए दिन होने वाले विरोध भी उन्हें परेशानी में डाले हुए हैं। मुख्यमंत्री चरणजीत ङ्क्षसह चन्नी को हर विधानसभा हलके, उनके चंडीगढ़ स्थित सरकारी और खरड़ व मोरिंडा स्थित निजी आवास पर भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

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