यूसीसी पर अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने विधि आयोग से की मुलाकात

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चंडीगढ (सचित गौतम)

अखिल भारतीय अधिवक्ता के प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रितु राज अवस्थी से मुलाकात कर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपनी सिफारिशें सौपी।दस्तावेज को अंतिम रूप देने से पहले अधिवक्ता परिषद के कार्यकर्ताओ द्वारा समूचे भारत मे विचार-विमर्श किया था व परिषद ने समाज के हर कोने तथा सभी धर्मो से जुड़े लोगो तक भी पहुंच की थी।

अधिवक्ता परिषद के महत्वपूर्ण सुझाव

अधिवक्ता परिषद की और से कुल नौ सुझाव दिए गए। जिसमें सभी के केवल एक विवाह की अनुमति, विवाह की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष(लड़कीयो) तथा 21वर्ष (लड़को) के लिए हो,विवाह का पंजीकरण अनिवार्य हो,विवाह अपने धार्मिक रीति-रिवाज से हो,सभी महिलाओ के लिए तलाक एक समान आधार पर हो,गोद लेने का समान अधिकार,सभी महिलाओ को विरासत व उत्तराधिकारी के लिए समान अधिकार जो पुरुषो के लिए भी उपलब्ध है,चाहे वे किसी भी धर्म के क्यो न हो,सभी महिलाओ को भरण-पोषण का अधिकार, सरकार से मिलने वाले मुआवजे का1/3 हिस्सा शहीद सैनिक के माता पिता को देना तथा 2/3 हिस्सा विधवा व बच्चो के लिए रखना।

अधिवक्ता परिषद की और से ये भी सुझाव दिया गया कि फिलहाल आदिवासियों व एलजीबीटीक्यू(Tribals&LGBTQ)से संबंधित मुद्दो को यूसीसी के दायरे से बाहर रखा जाए या रखा जा सकता है।यूसीसी पर संविधान सभा को बहस, यूसीसी के प्रति न्यायपालिका के दृष्टिकोण को परिभाषित करने वाले विभिन्न विभिन्न ऐतिहासिक निर्णयों के साथ साथ यूसीसी का पालन करने वाले पश्चिमी देशो के विवरण को विस्तृत दस्तावेज का हिस्सा बनाए जाए।
आयोग द्वार सदस्यो को अवगत कराया गया कि 50 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए है व प्रक्रिया अभी भी जारी है क्योकि समूचे भारत मे जबरदस्त प्रतिक्रिया को देखते हुए सुझाव प्रस्तुत करने कि सीमा को 28-7-2023 तक बढा दिया गया है
ये भी उपस्थित थे प्रतिनिधिमंडल मे
इस प्रतिनिधिमंडल मे डाॅ सीमा सिंह (प्रोफेसर कानून दिल्ली विश्वविद्यालय )वरिष्ठ वकील एम.बी. नरगुंद, श्री हरि बोरिकर (उत्तर श्रेत्र संगठन मंत्री) श्रीमती अर्चना पाठक दवे(वकील भारत की सर्वोच्च न्यायालय) श्री जीवेश तिवारी (वकील दिल्ली उच्च न्यायालय) श्री मनीष (वकील दिल्ली उच्च न्यायालय) भी उपस्थित रहे।

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