कश्मीरी पंडितों के नरंसंहार के प्रत्यक्षदर्शी और सामाजिक कार्यकर्ता ने किया बड़ा खुलासा- ‘गिरिजा को काट दिया गया’ कृपया जानें जावेद बेग को, उन्होंने कहा- कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का मैं गवाह, हाथ जोड़ माफी माँगे मुस्लिम

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नई दिल्ली 17 मार्च 2022 (नवीन चन्द्र पोखरियाल)

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर कई तरह के दुष्प्रचार किए जा रहे हैं। इसमें से एक आरोप इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देना भी है। लेकिन, इसी बीच कश्मीर से एक ऐसी आवाज उठी है जिसमें कहा गया है कि मुस्लिमों को नरसंहार के लिए कश्मीरी पंडितों से हाथ जोड़कर सार्वजनिक तौर पर माफी माँगनी चाहिए। ये आवाज है जावेद बेग की। उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि उनके अब्बा की पीढ़ियों ने गलती की थी।

जावेद बेग ने एक ट्वीट में गिरिजा टिक्कू की विचलित कर देने वाली तस्वीर साझा की है। साथ ही लिखा है, “मैं एक कश्मीरी मुस्लिम हूँ। हमारी पंडित बहन गिरिजा टिक्कू को कश्मीरी मुस्लिम परिवारों के आतंकियों ने टुकड़ों में काट डाला था, जबकि वह जिंदा थीं। इन आतंकियों के हाथों में ‘आजादी’ के नाम पर पाकिस्तानी बंदूकें थीं। यह कोई प्रोपेगेंडा नहीं, बल्कि हकीकत है। मैं हाथ जोड़कर पंडित बिरादरी से उस अत्याचार के लिए माफी माँगता हूँ।”

इसके साथ ही उन्होंने इसको लेकर न्यूज चैनल Ann News Kashmir के साथ अपनी बातचीत का एक वीडियो भी शेयर किया है। इसमें उन्होंने कहा है, “जिन लोगों ने उनको मारा, वे कहाँ के थे? वे बारामूला के नहीं थे, हमारे ही घरों के लोग थे। कश्मीरी पंडित कोई गैर नहीं हैं। ये हमारी कौम है, हमारा खून है, हमारी नस्ल है। यहाँ तो जानवर भी अपनी नस्ल के जानवर को भी नहीं मारते हैं। शेर कभी शेर का शिकार नहीं करता है। कुत्ते कभी कुत्ते को नहीं काटते हैं। कम से कम आज तो हमें गैरत होना चाहिए।”

वह आगे कहते हैं, “मैं खुद एक हत्याकांड का चश्मदीद हूँ। बीरवा के जिस इलाके से मैं ताल्लुक रखता हूँ, 1997 के 21 मार्च को पहली सामूहिक हत्या हुई थी, वो बीरवा में ही हुई थी। इसमें दर्जनों कश्मीरी पंडितों को मारा गया। मैंने देखा है। उसमें मारे जाने वाले लोग न तो किसी की ‘आजादी’ रोक रहे थे और न ही किसी कश्मीरी मुसलमान को मार रहे थे। निहत्थे लोग थे। उसमें इलाके के एक इज्जतदार हेडमास्टर और मेरे जैसा एक नौजवान था। वह हत्याकांड नहीं है तो क्या है?”

उन्होंने आगे कहा, “जो गलतियाँ हमारे वालिद की पीढ़ियों ने किया है, उसे एक पढ़े-लिखे युवक के तौर पर मुझे कबूल करना है कि वो गलतियाँ हुई हैं। वो गुनाह हुए हैं और उसके लिए हमें हाथ जोड़कर सार्वजनिक तौर पर सामूहिक रूप से कश्मीरी पंडितों से माफी माँगनी चाहिए। इसके लिए मूवी की जरूरत नहीं है।”

उनके इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कश्मीरी पंडित पत्रकार आदित्य राज कौल ने लिखा, “कश्मीरी मुस्लिम कार्यकर्ता जावेद बेग का कहना है कि कश्मीरी मुस्लिमों को कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के अपने अपराध को कबूल करना चाहिए और सार्वजनिक रूप से माफी माँगनी चाहिए। जावेद 1997 में कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के गवाह हैं। मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए सामूहिक माफी समय की जरूरत है।”

इसका जवाब देते हुए जावेद ने लिखा, “सच हमेशा सच ही रहता है, भले ही कोई उसे न बोले। झूठ हमेशा झूठ ही होता है, भले ही हर कोई इसे बोल रहा हो। मैं कश्मीरी पंडित के नरसंहार का गवाह हूँ जो दुर्भाग्य से 21 मार्च, 1997 (नौरोज़ दिवस) में मेरे गृहनगर संग्रामपोरा बीरवा में किया गया था। मुझे इसके लिए दुख और खेद है।” बेग के ट्विटर हैंडल के मुताबिक वह पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) के महासचिव हैं। वह कश्मीरी लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।

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