Best Astro Remedies : ज्योतिष के सरल और प्रभावी उपाय, जिन्हें करते ही संवर जाती है किस्मत

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सुख-समृद्धि, धन-शोहरत और कार्यों में सफलता की चाहत सभी की होती है, लेकिन यह हर किसी के हिस्से में नहीं आती है. कई बार ऐसा होता है कि कुछ लक्ष्य तमाम कोशिशों के बावजूद हासिल नहीं हो पाते हैं और वह महज ख्वाब ही बनकर रह जाते हैं.

प्राचीन काल से अपने कार्यों में सफलता पाने के लिए लोग पूजा-पाठ और ज्योतिष के उपाय करते चले आ रहे हैं. जिन्हें पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करने पर लोगों को सुखद परिणाम भी मिलते हैं. आइए आज कुछ ऐसे ही ज्योतिष के सरल और प्रभावी उपायों के बारे में जानते हैं, जिन्हें करते ही जीवन से जुड़े सारे कष्ट दूर होते हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

  1. यदि आप चाहते हैं कि आपके घर धन की देवी की कृपा बरसती रहे तो उनकी पूजा में प्रतिदिन गाय के दूध से बना घी का दिया जलाएं. मान्यता है कि गाय के दूध के घी से बना दीपक जलाने पर मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने साधक को सुख-संपत्ति का वरदान देती हैं.
  2. यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में धन की देवी का हमेशा वास बना रहे और वो कभी भी रूठ कर न जाएं तो कभी भूल कर भी रुपयों को थूक लगाकर न गिनें. ऐसा करने पर कहते हैं कि मां लक्ष्मी का अपमान होता है और धन को छूत लग जाता है और मां लक्ष्मी रूठ कर चली जाती हैं.
  3. यदि आप चाहते हैं कि कारोबार में खूब वृद्धि हो और व्यवसाय में मनचाहा लाभ हो तो भूलकर भी अपनी गद्दी या फिर कहें आफिस टेबल पर बैठकर न ही खाना खाएं और न उसपर सोएं.
  4. घर की सफाई में काम आने वाली झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में भूलकर भी इसका अनादर करते हुए पैर से न तो छूना चाहिए और न ही पटकना चाहिए. भूलकर भी किसी को झाड़ू से किसी को मारना भी नहीं चाहिए. साथ ही साथ झाड़ू को हमेशा घर में ऐसी जगह छिपा कर रखना चाहिए जहां पर यह किसी को नजर न आए, लेकिन इस बात का पूरा ध्यान रहे कि यह झाड़ू पूजा स्थान या धन स्थान को कभी भी भूल से न छूने पाए.
  5. यदि आप किसी कार्य विशेष में सफलता की आस लिए घर से निकल रहे हैं तो हमेशा श्रीरामचरितमानस की चौपाई ‘प्रबिसि नगर कीजै सब काजा. हृदय राखि कोशलपुर राजा’ चौपाई को बोलते हुए अपना कदम घर से बाहर निकालें. साथ ही साथ ईश्वर की पूजा में चढ़ाए हुए फूल को आशीर्वाद समेत लेकर निकलें

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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