उत्तराखंड के महासंग्राम में BJP ने रचा चक्रव्यूह, कांग्रेस को मात देने के लिए ये है पीएम मोदी का प्लान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 दिसंबर को देहरादून के परेड ग्राउंड में एक चुनावी रैली को संबोधित करने जा रहे हैं। इसके 20 दिन बाद भाजपा 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री की कुमाऊं क्षेत्र में भी एक बड़ी रैली आयोजित करने जा रही है।
जिससे प्रधानमंत्री को उत्तराखंड की सभी 70 सीटों पर लाने का भाजपा का प्रयास पूरा हो जाएगा। भाजपा की रणनीति से विपक्ष की चुनावी रणनीति पर असर पड़ना तय है।
70 विधानसभा सीटें हैं उत्तराखंड में
सत्ताधारी भाजपा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की रैली काफी अहम मानी जाती है। उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटें हैं। इसमें 41 गढ़वाल और 29 कुमाऊं क्षेत्र में आती है। इस तरह से प्रधानमंत्री को पहले देहरादून और फिर कुमाऊं के हल्द्वानी या रुद्रपुर में लाकर भाजपा सभी 70 सीटों पर पीएम का प्रभाव दिखाना चाहती है। 4 दिसंबर को देहरादून में होने वाली रैली में भाजपा गढ़वाल से उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, देहरादून समेत कई जिलों से कार्यकर्ताओं को देहरादून में लाकर अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाना चाहती है। इसमें 1 लाख लोगों को लाने का लक्ष्य रखा गया है। रैली से ठीक पहले देवस्थानम बोर्ड को भंग कर भाजपा ने एक और बड़ा सियासी दांव चल दिया है। जिसको पीएम मोदी की रैली में भाजपा पूरा कैश करना चाहेगी। इसके लिए साधु संतों और तीर्थ पुरोहितों को भी रैली में खास तवज्जो देकर चुनावी शंखनाद किया जाएगा। इसके लिए भाजपा संगठन पूरा जोर लगा रही है। युवाओं, महिलाओं और सभी वर्गों को रैली में खास जगह दी जाएगी। जिससे पीएम मोदी की रैली को सफल बनाकर प्रचंड बहुमत का दोबारा इतिहास रचा जा सके। पीएम मोदी की रैली इस दिशा में भाजपा के लिए खासा बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकती है।
आपदा, किसान और यशपाल 3 फेक्टर कमजोर
अब बात कुमाऊं की। कुमाऊं में बीते दिनो में आई आपदा, किसानों की नाराजगी और यशपाल आर्य का पार्टी छोड़ना इन सभी बिंदुओं पर भाजपा डेमेज कंट्रोल करने में जुटी है। इसके लिए पीएम को कुमाऊं क्षेत्र में लाना भाजपा की मजबूरी बन गई है। साथ ही गढ़वाल के बाद अगर कुमाऊं में पीएम मोदी की रैली आयोजित नहीं हुई तो भाजपा को गलत संदेश जाने का भी डर है। वैसे भी कांग्रेस इस समय कुमाऊं में ज्यादा मजबूत नजर आ रही है। कांग्रेस की और से पूर्व सीएम हरीश रावत ने कुमाऊं पर ज्यादा फोकस किया हुआ है।
मोदी आए, प्रचंड बहुमत दिला गए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड की 70 सीटों पर क्यों जरुरी है, इसके पीछे की गणित को भी समझना जरुरी है। 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 19 सीटों पर सिमट गई थी। 2007 के चुनाव के बाद भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो यूकेडी के 3 विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 36 के जादुई आंकड़े से पांच सीटें दूर हो गई। कांग्रेस ने 32 सीटों के साथ चार निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई। 2017 के विधानसभा चुनाव मैदान में भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ उतरी और 69 सीटों में से 56 सीटों के साथ भाजपा ने प्रचंड जीत का कीर्तिमान बनाया। जो कि मोदी लहर और मोदी के चेहरे से ही संभव हो पाया। ऐसे में भाजपा एक बार फिर उत्तराखंड में इतिहास बनाने के लिए मोदी की रैली से सत्ता की चाबी पाना चाहती है। इसके लिए गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों में भाजपा मोदी की रैली को आयोजित कर अपनी जीत सुनिश्चित करने में जुटी है।