सीडीएस एवं पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और पत्नी मधुलिका की दोनों बेटियों ने किया हरिद्वार में विसर्जन, सेना की टुकड़ियां रही मौजूद, ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, रावत जी का नाम रहेगा’ की गूंज से गुंजायमान हो उठा हरिद्वार

0

तमिलनाडु हेलीकॉप्टर क्रैश हादसे में शहीद हुए सीडीएस, एवं पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत की अस्थियां शनिवार को हरिद्वार में गंगा

हरिद्वार, उत्तराखंड 11 दिसम्बर (नवीन चन्द्र पोखरियाल )

तमिलनाडु हेलीकॉप्टर क्रैश हादसे में शहीद हुए सीडीएस, एवं पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत की अस्थियां शनिवार को हरिद्वार में गंगा में विसर्जित कर दी गईं।

जनरल बिपिन रावत की दोनों बेटियों ने अपने माता-पिता की अस्थियों का विसर्जन किया।‌ जनरल रावत और मधुलिका रावत की बेटियों- कृतिका और तारिणी ने आज सुबह दिल्ली छावनी के बरार स्क्वायर श्मशान घाट से अपने माता-पिता की अस्थियां एकत्रित कीं। जनरल बिपिन रावत की दोनों बेटियों ने शुक्रवार को अपने माता-पिता का नम आंखों से अंतिम संस्कार किया था।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत का दिल्ली कैंट के बरार स्क्वायर शमशान घाट पर शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया गया था। रावत की बेटियों ने अपने माता-पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी थी। संस्कृत में मंत्रोच्चार के बीच जनरल रावत और उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ किया गया। निर्धारित प्रोटोकॉल के मुताबिक सेना के बैंड की धुन के साथ उन्हें 17 तोपों की सलामी भी दी गई। उनकी दोनों बेटियों तारिणी और कृतिका ने अंतिम संस्कार से संबंधित सभी अनुष्ठान संपन्न किए थे।

हेलीकॉप्टर हादसे में देश के पहले सीडीएस, उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद से पूरे देश में शोक का माहौल है। तिरंगे में लिपटे ताबूत में रखे गए जनरल रावत के अवशेषों को जैसे ही फूलों से सजी तोपगाड़ी में रखा गया, लोगों ने फूलों की पंखुड़ियों की बौछार की और ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’, ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, रावत जी का नाम रहेगा’ और ‘जनरल रावत अमर रहें’ जैसे नारे लगाए थे. लोगों ने अंतिम संस्कार स्थल पर भी ऐसे ही नारे लगाए थे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री किरेन रिजिजू, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन और भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस भी भारत के पहले सीडीएस के अंतिम संस्कार के समय उपस्थित थे। अंतिम यात्रा के लिए 2233 फील्ड रेजिमेंट ने रस्मी तोपगाड़ी उपलब्ध कराई थी। सीडीएस के अंतिम संस्कार में सेना के तीनों अंगों से लगभग 800 सैन्यकर्मी शामिल हुए थे। कई देशों के सैन्य अधिकारियों ने भी जनरल रावत और उनकी पत्नी को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ये भी पढ़ें