पंजाब की राजनीति के बदलते समीकरण
चंडीगढ़ (आज़ाद वार्ता)
स्वस्थ लोकतंत्र में सशक्त विपक्ष जरूरी है। बड़े विपक्ष के रूप में खड़ी राष्ट्रीय कांग्रेस की दयनीय हालत पर सभी दुखी हैं। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का यह कथन कि वह खुद ही भाजपा को मजबूत बना रही है, सही लगता है।
पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू की लंबी उठापटक, ड्रामेबाजी और पार्टी आलाकमान की नासमझी ने इसे कहीं का नहीं छोड़ा, जिसमें उसने अपने मजबूत जनाधार वाले नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपमानित तरीके से बाध्य कर पार्टी से अलग कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। अंतत: अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ बना ही ली।
अब पंजाब में सारे राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं, जिसमें अब मुकाबला बहुकोणीय हो गया है, जो अब कैप्टन की कांग्रेस, सिद्धू की कांग्रेस, अकाली दल, आम आदमी पार्टी और भाजपा में ही होगा। इस बिखराव से भाजपा को कुछ लाभ जरूर हो सकता है। अब कैप्टन और भाजपा, सिद्धू और आम आदमी पार्टी और अकाली दल और अन्य पार्टियां एक-दूसरे के साथ आ सकती हैं।
असल में अब जो भी पार्टी या नेता सही सुधार और जनवादी कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ेगा, वही सफल हो सकता है, मगर इसके लिए उसे बहुत प्रयास और परिश्रम करना होगा।