टैक्स चोरी रोकने के लिए जीएसटी लगाने का फैसला, पंजाब ने खाद्यान्न पर 2,000 करोड़ से अधिक तो यूपी ने 700 करोड़ रुपये जुटाए

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देश में गैर ब्रांडेड, लेकिन पैकेज्ड आइटमों पर जीएसटी लगाने के फैसले के विरोध को देखते हुए एक बार फिर वित्त मंत्रालय की तरफ से सफाई दी गई है। वित्तमंत्री ने एक के बाद एक 14 ट्वीट कर इस बारे में सरकार का पक्ष रखा है।

उनके मुताबिक इस तरह के टैक्स कई राज्य पहले से वैट के जरिए वसूलते आए हैं।

वित्तमंत्री ने ट्वीट किया है कि हाल ही में, जीएसटी परिषद ने अपनी 47वीं बैठक में दाल, अनाज, आटा, आदि जैसे विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की सिफारिश की थी। इस बारे में बहुत सी भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। इस बारे में राज्यवार जानकारी देते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि राज्य, जीएसटी के पहले की व्यवस्था से ही खाद्यान्नों से राजस्व एकत्र कर रहे थे। अकेले पंजाब ने खरीद कर के माध्यम से खाद्यान्न पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए। यूपी ने 700 करोड़ रुपये जुटाए हैं। देश के अलग अलग राज्यों ने इस पर 1 से लेकर 6 फीसदी तक वैट वसूला है। ये वैट पैकेट बंद में बासमती चावल बेचने पर वसूला गया था।

वित्तमंत्री के मुताबिक जब जीएसटी लागू किया गया था, तो ब्रांडेड अनाज, दाल, आटे पर 5% की जीएसटी दर लागू की गई थी। बाद में इसे केवल उन्हीं वस्तुओं पर कर लगाने के लिए संशोधित किया गया जो पंजीकृत ब्रांड या ब्रांड के तहत बेची जाती थीं। उन्होंने ट्वीट किया कि जीएसटी लागू होने के बाद जल्द ही इस प्रावधान का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग, प्रतिष्ठित निर्माताओं और ब्रांड मालिकों द्वारा देखा गया और धीरे-धीरे इन वस्तुओं से जीएसटी राजस्व में काफी गिरावट आई।

इसका उन आपूर्तिकर्ताओं और उद्योग संघों द्वारा विरोध किया गया जो ब्रांडेड सामानों पर कर का भुगतान कर रहे थे। साथ ही उन्होंने इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी पैकेज्ड वस्तुओं पर समान रूप से जीएसटी लगाने के लिए सरकार को पत्र लिखा। कर में इस बड़े पैमाने पर चोरी को राज्यों द्वारा भी देखा गया।

सरकार के मुताबिक फिटमेंट कमेटी जिसमें राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और गुजरात के अधिकारी शामिल थे, उन्होंने भी कई बैठकों में इस मुद्दे की जांच की और दुरुपयोग को रोकने के तौर-तरीकों को बदलने के लिए अपनी सिफारिशें कीं। इसके बाद जीएसटी परिषद ने अपनी 47वीं बैठक में यह निर्णय लिया।

निर्मला सीतारमण की तरफ से किए गए ट्वीट में लिखा गया है कि 18 जुलाई, 2022 से इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाने के केवल तौर-तरीकों में बदलाव किया गया था, जिसमें 2-3 वस्तुओं को छोड़कर जीएसटी के कवरेज में कोई बदलाव नहीं किया गया था। यह निर्धारित किया गया है कि कानूनी माप विज्ञान अधिनियम के प्रावधानों को आकर्षित करने वाली “प्री-पैकेज्ड और लेबल वाली” वस्तुओं में आपूर्ति किए जाने पर इन सामानों पर जीएसटी लागू होगा।

इन चीजों में दालें, अनाज जैसे चावल, गेहूं और आटा, आदि जैसी वस्तुओं पर पहले 5 प्रतिशत जीएसटी लगता था जब ब्रांडेड और यूनिट कंटेनर में पैक किया जाता था। 18 जुलाई 2022 से प्री-पैकेज्ड और लेबल होने पर इन वस्तुओं पर जीएसटी लगेगा। ऐसे निर्दिष्ट आइटम, जब खुले हुए बेचे जाते हैं, और पहले से पैक या पूर्व-लेबल नहीं होते हैं, तो उन पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा।

उनके मुताबिक यह जीएसटी परिषद का सर्वसम्मत निर्णय था। 28 जून, 2022 को चंडीगढ़ में आयोजित 47वीं बैठक में दर युक्तिकरण पर मंत्रियों के समूह द्वारा इस मुद्दे को प्रस्तुत किए जाने पर जीएसटी परिषद में सभी राज्य मौजूद थे। साथ ही पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल के गैर-भाजपा राज्यों सहित सभी राज्य इस निर्णय से सहमत थे। जीएसटी परिषद का यह फैसला एक बार फिर आम सहमति से हुआ था।

इसके अलावा, इन परिवर्तनों की सिफारिश करने वाले मंत्रियों के समूह में पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, उत्तर प्रदेश, गोवा और बिहार के सदस्य शामिल थे और इसका नेतृत्व कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने किया था। इसने टैक्स लीकेज को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्ताव पर ध्यान से विचार किया। वित्तमंत्री के मुताबिक टैक्स लीकेज को रोकने के लिए यह निर्णय बहुत आवश्यक था। अधिकारियों, मंत्रियों के समूह सहित विभिन्न स्तरों पर इस पर विचार किया गया और अंततः सभी सदस्यों की पूर्ण सहमति के साथ जीएसटी परिषद द्वारा इसकी सिफारिश की गई।

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