यूरोपीय देश ग्रीस ने जानवरों को हलाल करने पर लगाई रोक, हलाल प्रक्रिया को बताया ‘अमानवीय’

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नई दिल्ली 7 नवम्बर (नवीन चन्द्र पोखरियाल)

यूरोपीय देश ग्रीस की सर्वोच्च अदालत ने हलाल वध को देश में प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही कोशेर पर भी रोक लगाई है। अदालत ने पशु वध की इस प्रकिया को अमानवीय बताया है। हलाल मुख्यतः इस्लामी परम्परा और कोशेर यहूदी परम्परा से संबंधित है। अदालत ने यह आदेेश वहाँ के पर्यावरण और पशु प्रेमी संगठनों की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है।

आपको बता दें कि हलाल और कोशेर दोनों प्रक्रियाओं में पशुओं को बिना बेहोश किए, धीरे-धीरे मारा जाता है। यह पशु वध का सबसे पीड़ादायक तरीका माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अदालत में याचिका लगाने वाले समूह पाइनहेलनिक एनिमल वेलफेयर और एन्वॉयरमेंटल फेडरेशन ने अपनी माँग में वध से पहले पशुओं को एनेस्थीसिया देने की माँग की थी। यह दवा बेहोश करने के काम आती है।

अपने आंकलन में ग्रीस की सर्वोच्च प्रशासनिक न्यायालय हेलेनिक काउंसिल ऑफ़ स्टेट ने पशु अधिकारों के समर्थन में दलीलों को सही पाया। न्यायालय ने भी माना कि किसी की धार्मिक मान्यताएँ पशु अधिकारों को नजरअंदाज़ नहीं कर सकतीं। न्यायालय ने सरकार से देश भर में पशु अधिकारों और धार्मिक मान्यताओं के बीच सामंजस्य बनाने को कहा। इसी के साथ ग्रीस के स्लॉटर हाऊस में होने वाली गतिविधियों पर नजर भी रखी जाएगी। न्यायालय के आदेशानुसार, अब किसी भी जानवर को मारने से पहले उसको बेहोश करना जरूरी होगा।

ग्रीस की अदालत के इस फैसले का वहाँ के कुछ धार्मिक संगठनों ने विरोध किया है। यहूदियों के यूरोपियन एसोसिएशन के चेयरमैन रब्बी मर्गोलिन ने इस आदेश को यहूदियों की धार्मिक स्वतंत्रता में न्यायिक हस्तक्षेप बताया है। उनके अनुसार, पूरे यूरोप में यहूदियों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है।

इससे पहले 17 दिसम्बर 2020 में बेल्जियम की अदालत ने भी इसी से मिलता-जुलता फैसला सुनाया था। बेल्जियम के फ्लेमिश क्षेत्र में एक नियम लागू किया गया था, जिसके अंतर्गत पशुओं की हत्या करने के लिए उनकी स्टनिंग (बेहोश/बेसुध) अनिवार्य होगी। पशु अधिकारों के आधार पर स्टनिंग के बिना पशुओं की हत्या पर पाबंदी होगी। यूरोपियन यूनियन की सबसे बड़ी अदालत ने इस नियम का समर्थन किया था।

भारत में भी हलाल को बैन करने माँग लम्बे समय से की जा रही है। दिल्ली के ऐसे होटल या मीट की दुकान, जो एसडीएमसी (दक्षिण दिल्ली नगर निगम) के अंतर्गत आते हैं, उन्हें अब हलाल या झटका बोर्ड टाँग कर रखना जरूरी होगा। एसडीएमसी की सिविक बॉडी की स्टैंडिंग कमिटी ने यह प्रस्ताव 24 दिसंबर 2020 को पास किया था। इस प्रस्ताव में यह भी लिखा है कि हिंदू और सिख के लिए हलाल मीट खाना वर्जित है।

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