पहली बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा नहीं लेंगे चंडीगढ़ के एनएसएस वालंटियर, ये है वजह

दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार चंडीगढ़ का कोई भी एनएसएस वांलटियर शामिल नहीं होगा। ऐसा पहली बार होगा जब देश भर के वालंटियर्स देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस पर परेड के जरिए सलामी देंगे लेकिन इनमें चंडीगढ़ का एक भी कैडेट नहीं होगा।
इसकी सबसे बड़ी वजह चंडीगढ़ शिक्षा विभाग की नाकामी है। हर साल गणतंत्र दिवस की परेड में विभिन्न कैंप से सेलेक्ट होकर चंडीगढ़ के छह से लेकर 16 एनएसएस कैडेट्स जाते थे और 20 दिन की रिहर्सल के बाद 26 जनवरी को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सलामी देने से लेकर गेट-टू-गेदर में हिस्सेदार बनते थे और प्रधानमंत्री से गार्ड आफ आनर भी लेते थे।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे शैक्षणिक संस्थानों के स्टूडेंट्स एनएसएस ज्वाइन करते हैं। एनएसएस वालंटियर्स को अलग-अलग प्रकार के कैंप आयोजित किए जाते हैं और उनमें से शार्टलिस्ट करके हर साल दिल्ली की गणतंत्र दिवस परेड के लिए भेजा जाता है। यह सारी प्रक्रिया केंद्र शासित प्रदेश और राज्य का स्टेट लाइजन आफिसर (एसएलओ) तय करता है, लेकिन चंडीगढ़ शिक्षा विभाग की नाकामी के चलते बीते आठ महीनों से एसएलओ का पद खाली पड़ा है, जिस पर विभाग नियुक्ति करने में नाकाम रहा है। हैरत की बात है कि इस पद को भरने के लिए विभाग खुद चार बार नोटिफिकेशन कर चुका है और हर बार आवेदन भी आए। बावजूद विभाग एसएलओ की नियुक्ति नहीं कर पाया। इसी वजह से इस बार एनएसएस वालंटियर की नियुक्ति गणतंत्र दिवस के लिए नहीं हो सकी है।
कौन बनेगा एसएलओ
एसएलओ बनने के लिए कालेज कैडर का शिक्षक कर सकते हैं। उन्हें एनएसएस का तीन से पांच साल का अनुभव रखता होना अनिवार्य है। नोटिफिकेशन और आवेदन पहुंचने के लिए सेलेक्शन कमेटी का गठन किया जाता है, जो कि आवेदक के बेहतर अनुभव के आधार पर एसएलओ का चयन करती है। चंडीगढ़ शिक्षा विभाग एसएलओ पद को भरने के लिए नोटिफिकेशन जारी करने के बाद सेलेक्शन कमेटी बनाने में भी नाकाम रहा है, जिसके चलते अभी तक पद खाली है और उसका खामियाजा शहर के हजारों एनएसएस वालंटियर्स को हो रहा है।