कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर फोड़ा सियासी बम, आइए जानते हैं कौन-कौन हैं उनके निशाने पर

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देहरादून, 28 मार्च 2022 (नवीन चन्द्र पोखरियाल)

उत्तराखंड में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के भीतर जमकर अब भी एक-दूसरे पर मीडिया और सोशल मीडिया के द्वारा आरोप-प्रत्यारोप और खींचतान जारी है। हार के बाद सबसे बड़ी मुश्किल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए ही नजर आ रही है।

जिस तरह से हरीश रावत पर चुनाव के दौरान मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रकरण को लेकर सवाल उठाए गए। उसके बाद से हरीश रावत भाजपा और अपनी ही पार्टी के निशाने पर हैं। इसके बाद हरीश रावत ने एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए नया सियासी बम फोड़ा है। हरीश रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए इशारों में अपने और उनकी बेटी के खिलाफ साजिश करने वालों पर जमकर निशाना साधा है। जिसमें हरीश रावत के निशाने पर भाजपाई ही नहीं कांग्रेस के भी नेता शामिल हैं।

हरदा ने अ सब लगाए हैं गंभीर आरोप

हरीश रावत ने कहा कि चुनाव हारने के बाद काफी समय से सोशल मीडिया में उन पर बिना सिर-पैर के हमले करने वालों की बाढ़ सी आ गई है। उन्होंने कहा कि धामी की धूम पेज में मुझ पर जुटकर प्रहार कर रहे भाजपाई के साथ-साथ हमारे एक नेता से जुड़े हुए कुछ लोग भी दनादन मुझ पर गोले दाग रहे हैं, उनको लगता है हरीश रावत को गिराकर मार देने का यही मौका है। हरीश रावत ने कहा कि वे लगभग 241 किलोमीटर दूर एक अनचाही चुनावी जंग में फंस चुके था, 3-4 फरवरी तक कहीं कुछ भी हो रहा हो उसकी खोज खबर लेने की उन्हें फुर्सत ही नहीं मिल पा रही थी। हरीश रावत ने सवाल उठाते हुए कहा कि कहां से एक यूनिवर्सिटी का मामला उठा, किसने उसको उठाया, किनके सामने उठाया और उस व्यक्ति को पार्टी का उपाध्यक्ष किसने बनाया। यह कहानी अब सारे राज्य के लोगों को स्पष्ट मालूम है। यूनिवर्सिटी की बात कहने वाले व्यक्ति की सियासी जिंदगी में उसे सचिव व महामंत्री बनाने वाला नाम भी सामने आ चुका है। एक विस्फोटक बात करने वाले व्यक्ति को हरिद्वार ग्रामीण में पर्यवेक्षक बनाकर किसने भेजा और किसके कहने पर भेजा। यह तथ्य अभी जरूर स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन उद्देश्य स्पष्ट था हरिद्वार ग्रामीण जो पहले से ही संवेदनशील चुनाव क्षेत्र है, वहां की उम्मीदवार को चुनाव हराना। हरीश रावत ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह मेरी बेटी है अर्थात कुछ लोग बाप का इंतजाम करने के बाद बेटी की हार का भी इंतजाम करने में लग गए थे।

समाचार की कॉपी दिखाने वाले को 1 लाख रूपए का ईनाम

हरदा ने कहा है कि यदि वे इस पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग को लेकर कांग्रेस कार्यालय में उपवास पर बैठ गए तो एआईसीसी को स्वतंत्र उच्चस्तरीय जांच बैठानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं पार्टी को गहरे घाव लगे हैं। मैं अपने घाव को उकेर कर पार्टी के घावों में संक्रमण नहीं फैलाना चाहता हूं। मगर मुझे अपने पर निरंतर लगाए जा रहे झूठे आरोप और उसके दुष्प्रचार का खंडन भी करना है, और दुष्प्रचार फैलाने वाले चेहरों को बेनकाब भी करना है। हाल-फिलहाल मैंने फैसला किया है कि भाजपाइये और एक नेता विशेष के कांग्रेसी छाप दुष्प्रचारकों का भंडाफोड़ भी करना है। हरीश रावत ने कहा है कि जिसमें यह कथाकथित खबर छपी है उस समाचार पत्र की 10 प्रतियां लाकर मुझे दिखाने वाले को वह अब 50 हजार की जगह 1 लाख रुपए ईनाम राशि देंगे। हरदा ने चुनौती देते हुए कहा है कि जिस दिन प्रमाणित तौर पर यह सारे तथ्य सामने आ जाएंगे तो मैं, गांधी जी की मूर्ति के सामने बैठकर राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दूंगा।

कांग्रेस ने हार का कारण माना है मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा

उत्तराखंड में चुनाव के दौरान मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा उठने के बाद भाजपा ने इस मुद्दे को पूरे चुनाव में जमकर उठाया। इतना ही नहीं इस प्रकरण को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत पर जमकर निशाना भी साधा गया। इस पूरे प्रकरण पर हरीश रावत चौतरफा घिरते हुए नजर आए। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंच से हरीश रावत पर ​इस मुद्दे को लेकर हमला किया। चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के लिए इस मुद्दे को ही प्रमुख कारण माना गया। जिस पर कांग्रेस की समीक्षा बैठकों में हार का ठीकरा इसी मुद्दे पर फोड़ा गया। अब हरीश रावत इस मुद्दे की सच्चाई को सबके सामने लाने की कोशिश में जुट गए हैं।

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