संघर्ष के बाद मिली आजादी, भारत को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत: मोहन भागवत

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि भारत को काफी संघर्ष के बाद आजादी मिली और उसे आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है. देश की आजादी की 75वीं सालगिरह पर महाराष्ट्र के नागपुर शहर में स्थित संघ मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद भागवत ने वहां आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विश्व को शांति का संदेश देगा.

उन्होंने कहा, ‘आज गर्व और संकल्प का दिन है. देश को बहुत संघर्ष के बाद आजादी मिली. उसे आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है.’ भागवत ने यह भी कहा कि लोगों को नहीं पूछना चाहिए कि देश और समाज उन्हें क्या देता है, बल्कि यह सोचना चाहिए कि वे देश को क्या दे रहे हैं. संघ मुख्यालय में कड़ी सुरक्षा के बीच आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में आरएसएस के कुछ स्वयंसेवक और प्रचारक मौजूद थे.

आरएसएस ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रेशमबाग क्षेत्र स्थित डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति में एक कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसमें नागपुर महानगर के सहसंघचालक श्रीधर गाडगे मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे. आरएसएस के स्वयंसेवक शाम पांच बजे शहर के विभिन्न हिस्सों में पथ संचलन (मार्च पास्ट) भी करेंगे.
पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है: भागवत

रविवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि विविधता को सहेजने के लिए पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है. उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर शहर में भारत एट 2047 : माय विजन माय एक्शन पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि एक अखंड भारत का निर्माण तभी होगा, जब लोग भयभीत होना छोड़ देंगे. आरएसएस प्रमुख ने कहा, जब विविधता को प्रभावी तरीके से सहेजने की बात की जाती है, तो विश्व भारत की ओर देखता है. दुनिया विरोधाभासों से भरी हुई है लेकिन द्वंद्व से निपटने का हुनर केवल भारत के पास है.
कई घटनाएं हमे नहींं बताई गईं: संघ प्रमुख

भागवत ने कहा था, ऐसी कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं, जो हमें कभी नहीं बतायी गईं और न ही उपयुक्त तरीके से कभी पढ़ाई गईं. उदाहरण के लिए संस्कृत का व्याकरण जिस स्थान से उपजा, वह भारत में नहीं है. क्या हमने कभी सवाल किया कि ऐसा क्यों है? उन्होंने कहा था, यह मुख्य रूप से इसलिए हुआ कि सबसे पहले हम अपना विवेक और ज्ञान भूल गए और बाद में हमारी जमीन पर विदेशी आक्रांताओं ने कब्जा कर लिया जो मुख्यत: उत्तर-पश्चिम क्षेत्र से आए थे. हम अनावश्यक रूप से जाति और ऐसी ही अन्य व्यवस्थाओं को महत्व देते हैं. उन्होंने कहा था कि काम के लिए बनायी गई व्यवस्था का इस्तेमाल लोगों तथा समुदायों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए किया गया.

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