हरीश रावत, प्रकाश सिंह बादल, अमरिंदर…खत्म हो गए इनके करियर?

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5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों पर से गुरूवार, 10 मार्च को पर्दा उठ गया. 5 राज्यों के नतीजों में बीजेपी को एक बार फिर खुश होने का मौका मिला है.

यूपी (UP), उत्तराखंड (Uttarakhand), गोवा (Goa) और मनिपुर (Manipur) में बीजेपी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और आसानी से सरकार बनाने की स्थिती है. लेकिन इन सब के बीच राजनीति के कुछ दिग्गजों का इन चुनावों से दिल भी टूटा है.संभावना ऐसी भी है कि हरीश रावत, प्रकाश सिंह बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह के करियर का शायद ये आखिरी चुनाव हो.

हरीश रावत

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हरीश रावत अपनी ही कुर्सी नहीं बचा पाए. लालकुआं से चुनाव लड़ रहे रावत बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट से 16,000 वोटों से पीछे चल रहे थे कि उन्होंने आधिकारिक घोषणा से पहले ही अपनी हार मान ली. 5 बार के सांसद और 2014 से 2017 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत शायद इस हार के बाद अब दोबारा चुनाव न लड़ें. उनकी उम्र भी 73 साल हो चुकी है. अगले चुनाव तक वो 78 साल के हो जाएंगे.रावत को लेकर ये भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें वो भाव नहीं दे रही जिसके वो हकदार है. इससे पहले चर्चा इस बात को लेकर भी थी कि कांग्रेस शायद उन्हें इस विधानसभा चुनाव में अपने कदम न रखने दे.

इसी साल जनवरी में उनकी एक कथित ऑडियो क्लिप भी वायरल हुई थी जिसमें वो पार्टी नेताओं से रामनगर सीट की मांग कर रहे थे. ये सब देखकर लगता है कि हरीश रावत अब ज्यादा लंबे समय तक राजनीति में भी न टिकें.

प्रकाश सिंह बादल

पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल मुक्तसर जिले की लांबी सीट से चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव में उन्हें आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह खुड्डियां से 11, 396 वोटों से हार गए. इस हार को इतनी आसानी से नहीं पचाया जा सकता क्योंकि जिस सीट से वो हारे हैं ये उनका और बादल परिवार का गढ़ माना जाता था. इस सीट से बादल 1997 से लगातार जीत रहे थे. वो 1997 से पांच बार इस सीट से लड़ चुके थे और हर बार जीते.1970 में वो पहली बार सीएम बने थे. 94 साल की उम्र के बादल इस विधानसभा चुनाव में सबसे उम्रदराज प्रत्याशी थे. अगले चुनाव तक वो 99 साल के हो चुके होंगे.

इस बात की संभावना अब न के ही बराबर है कि बादल इस उम्र में अपने ही गढ़ में हारने के बाद चुनावी मैदान में दोबारा कदम रखेंगे.

कैप्टन अमरिंदर सिंह

इस चुनाव में शायद सबसे ज्यादा निराशा किसी को हाथ लगी तो वो कैप्टन अमरिंदर सिंह ही हैं. अमरिंदर सिंह का करियर इस चुनाव में देकते-देखते अर्श से फर्श पर आ गया. चुनावों से ठीक पहले के कुछ महीनों में वो अपनी ही पार्टी के नवजोत सिंह सिद्धू से भिड़ पड़े. इससे विरोधियों को तो मौका मिला ही साथ ही कांग्रेस की भी खूब फजीहत हुई.इसी विवाद के चलते उन्हें सीएम पद से इस्तिफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने जाकर बाजेपी से हाथ मिला लिया. बीजेपी को उम्मीद थी कि कैप्टन के आने से पंजाब में हालत कुछ सुधरेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. पंजाब में बीजेपी 2 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. उन्हें लगभग 20,000 वोटों से आम आदमी पार्टी के अजितपाल सिंह कोहली ने मात दी.

ये हार कैप्टन के लिए और बड़ी इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्होंने अपना गढ़ गंवाया है. पटियाला शहरी सीट से उन्होंने 2002, 2007, 2012 और 2017 में चार बार जीत दर्ज की थी. अब इस हार के बाद 79 साल के हो चुके कैप्टन का करियर आगे कब तक जारी रहेगा इसपर चर्चा की जा सकती है. अगले चुनाव तक वो 84 के हो चुके होंगे.

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