कैसे-कैसे हैं योगी के दुश्मन-‘योगी का इस्तेमाल न हो, पूरा और असली नाम बताएँ’, उ.प्र. के मुख्यमंत्री के खिलाफ लगाई याचिका, हाई कोर्ट ने लगाया ₹1 लाख का जुर्माना

0

नई दिल्ली 26 अप्रैल 2022 (नवीन चन्द्र पोखरियाल, विवेक गौतम)

योगी आदित्यनाथ ने अपने जनहित और राष्ट्रहित के कार्यकलापों से देश में ही नहीं वरन् विश्व में भी एक अनोखी मिसाल कायम की है। उनके इन कार्यों से भ्रष्टाचारीयों और गुंडे-मवालियों में एक ऐसा खौफ-सा छा गया है कि वे अपनी इस छुपी बौखलाहट में तरह-तरह के आरोप- प्रत्यारोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आधिकारिक संवाद के लिए अपने नाम में ‘योगी’ का इस्तेमाल करने से रोकने की गुहार लगाई गई थी। साथ ही माँग की गई थी वे अपने पूरे और वास्तविक नाम का सार्वजनिक तौर पर इस्तेमाल करें और इसी नाम से शपथ लें। यह जनहित याचिका नमहा ने दायर की थी। हाई कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा, “हम इस याचिका को पूरी तरह से गलत मानते हैं। याचिकाकर्ता एक राजनीतिक व्यक्ति है। लेकिन उसने जानबूझकर अपनी पहचान छिपाते हुए याचिका दायर की। इसका कोई छिपा मकसद हो सकता है या ऐसा सस्ता प्रचार पाने के लिए किया गया हो। यह देखते हुए इस याचिका को खारिज किया जाता है।” अदालत ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता ने दिल्ली का अपना पता दिया था, जबकि वह उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखता है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने जुर्माने की राशि छह सप्ताह के भीतर प्रयागराज के विकलांग केंद्र, भारद्वाज आश्रम में जमा कराने के निर्देश दिए हैं।

इससे पहले याचिकाकर्ता ने दलील दी कि मुख्यमंत्री अलग-अलग जगहों पर, अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग नामों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसका कहना था कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत उसने मुख्यमंत्री के नाम के संबंध में जानकारी माँगी थी। लेकिन उसे यह उपलब्ध नहीं कराई गई। नमहा ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि मुख्यमंत्री के कई नामों जैसे आदित्यनाथ, योगी आदित्यनाथ आदि का इस्तेमाल डिजिटल मंचों सहित विभिन्न जगहों पर किया जा रहा है। इससे लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री को केवल एक नाम का उपयोग करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।

इस पर राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका पर आपत्ति जताते हुए दलील दी कि यह विचार योग्य नहीं है। याचिकाकर्ता ने इसे (याचिका) जनता के लाभ के लिए नहीं, बल्कि अपने प्रचार में लिए दायर किया है। इसमें मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया गया है और एक व्यक्ति के खिलाफ जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि उसके मुवक्किल ने लोगों के लाभ के लिए इसे दायर किया है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ये भी पढ़ें