चाहते हैं अधिक पैदावार तो इस तारीख तक कर दें गेहूं की बुवाई, देरी करने से होते हैं ये नुकसान

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चंडीगढ़। उत्तर पश्चिमी भारत में सिंचित गेहूं की बुवाई के लिए नवंबर के पहले पखवाड़े को उत्तम समय माना जाता है. उत्तर पूर्वी क्षेत्रों और मध्य भारत में सिंचित गेहूं की बुवाई का सही समय मध्य नवंबर है.

सिंचित दशा में देर से बुवाई दिसंबर के पहले पखवाड़े में समाप्त कर लेनी चाहिए. सिंचित दशाओं में समय से बुवाई के लिए बीज दर 100 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर है. देर से बुवाई करने पर गेहूं की उचित बीज दर 125 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर है.

बीज साफ, स्वस्थ, एवं खरपतवारों के बीजों से रहित हो. यदि पिछले वर्ष का बीज प्रयोग कर रहे हैं तो उसका बाविस्टीन अथवा थीरम दवा 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के साथ उपचारित करें.

अच्छी उपज के लिए 20 नवंबर से पहले कर लें बुवाई

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ एके सिंह डीडी किसान से बातचीत में बताते हैं कि किसान भाई अच्छी उपज के लिए हर हाल में बुवाई 20 नवंबर से पहले कर लें. बुवाई में देरी से पैदावार प्रभावित होती है. डॉ एके सिंह कहते हैं कि देर से बुवाई करने पर गेहूं के दानों में वजन कम हो जाता है क्योंकि उस वक्त गरम हवाएं चलने लगती हैं.

डॉ सिंह कहते हैं कि समय पर बुवाई कर देने से गेहूं के पौधे जमीन में दी घई खुराक का अच्छे से उपयोग कर पाते हैं. यहां पर खुराक से मतलब खाद और पानी से है. साथ ही साथ, अगर बुवाई के बाद जितनी ठंड मिलती है, उससे फुटाव अच्छा होता है. इसलिए समय पर बुवाई करना बहुत जरूरी है.

गेहूं की उन्नत किस्में

कृषि वैज्ञानिक डॉ एके सिंह कहते हैं कि किसान भाई बुवाई के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें. इससे दो फायदा होता है. एक तो पैदावार अच्छी मिलती है और दूसरी यह कि ये रोग प्रतिरोधी होती हैं तो दवा के छिड़काव पर आने वाला खर्च भी बच जाता है.

गेहूं की उन्नत किस्मों में डीबीडब्ल्यू-222 या करण नरेंद्र शामिल है. इस किस्म से एक हेक्टेयर में किसान 61 क्विंटल से अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं. यह 143 दिनों में तैयार हो जाता है. इसके अलावा किसान भाई डीबीडब्ल्यू-187 एनडब्ल्यूपीजेड, डीबीडब्ल्यू-187 एनईपीजेड, डीबीडब्ल्यू-252 और डीबीडब्ल्यू 47 किस्मों का भी चुनाव कर सकते हैं. ये सभी किस्में अलग-अलग क्षेत्र और अवधि की हैं.

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