27 साल में 5-6 राष्ट्रपति से भी मृत्युदंड माफ नहीं करा सका मुख्यमंत्री का कातिल! कौन है यह सजायाफ्ता मुजरिम?

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सन 1995 से अब तक पांच राष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. देश के मौजूदा यानी 14वें राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का कार्यकाल अब पूरा हो रहा है. इसके बाद भी पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड ( Beant Singh Murder) के मुजरिम बलवंत सिंह राजोआना ( Balwant Singh Rajoana ) की किस्मत नहीं बदली!

हालांकि इस खतरनाक मुजरिम की मौत की सजा की फाइल अभी केंद्र सरकार के पास लंबित है. साथ ही यह भी ध्यान रखने की बात है कि मौजूदा राष्ट्रपति (President of India) के पास भले ही इस मुजरिम की सजामाफी की दया याचिका अभी तक दाखिल न हुई हो, लेकिन इनसे पहले बाकी 5 राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भी इस सजायाफ्ता मुजरिम की किस्मत का फैसला नहीं हो पाया. क्योंकि यह नौबत तब आ सकेगी, जब केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट से ऊपर, यानी राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल होगी.

अब ऐसे में कोई भी सोचेगा कि किसी सजायाफ्ता मुजरिम का भला देश के राष्ट्रपति से क्या लेना-देना? दरअसल ‘मृत्युदंड’ की सजा पाए जिस आतंकवादी की बात की जा रही है, उसकी सजामाफी की अर्जी पर केंद्रीय हुकूमत और सुप्रीम कोर्ट के बाद अंतिम मुहर तो राष्ट्रपति की ही लगनी होती है. अब जबकि देश के 14वें और मौजूदा राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का भी सेवाकाल पूर्ण होने वाला है.मतलब साफ है कि देश के राष्ट्रपति तो 1995 से अब तक 5-6 बदल गए लेकिन यह खतरनाक मुजरिम मृत्युदंड की सजा से ‘मुक्ति’ पाने के लिए आज भी इधर से उधर दौड़ा-दौड़ा फिर रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर कौन है सजा-ए-मौत पाया खतरनाक मुजरिम बलवंत सिंह राजोआना? जिसे अपनी सजामाफी की आखिरी उम्मीदें अब भी केंद्रीय हुकूमत, सुप्रीम कोर्ट और फिर राष्ट्रपति के ही ऊपर टिकी हैं.
31 अगस्त सन् 1995 को हुई थी बेअंत सिंह की हत्या

मौत की सजा पाया सजायाफ्ता मुजरिम बलवंत सिंह राजोआना पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड का आरोपी है. बेअंत सिंह हत्याकांड 31 अगस्त सन् 1995 को अंजाम दिया गया था. उस मानव बम धमाके में राज्य के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 16 लोग मार डाले गए थे. गिरफ्तारी के बाद चले ट्रायल कोर्ट ने बलवंत सिंह राजोआना को मौत की सजा मुकर्रर की थी. उसके बाद से ही यह सजायाफ्ता मुजरिम हिंदुस्तान में एक अदालत से दूसरी अदालत के चक्कर काट रहा है. इस उम्मीद में कि शायद देश की कोई अदालत उस पर रहम खाकर, या फिर उसे सुनाई गई मौत की सजा में कोई कानूनी कमजोरी-कमी निकाल कर. इसे मौत के फंदे पर चढ़ने से बचा ले! राज्य के मुख्यमंत्री सहित 16 लोगों के कत्ल और षडयंत्र का आरोपी यह मुजरिम, खुद को फांसी के फंदे से बचाने की गफलत पाले हुए सुप्रीम कोर्ट की देहरी तक भी जा पहुंचा.

सुप्रीम कोर्ट से भी मगर उसे कोई राहत नहीं मिल सकी है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को इंतजार है केंद्रीय हुकूमत की फाइल का. ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को, कहीं कोई कानूनी कमजोरी या कमी नजर नहीं आई. लिहाजा यह सजायाफ्ता खतरनाक मुजरिम बीते करीब 27 साल से एक जेल से दूसरी जेल की काल कोठरी में ही कैद है. साथ ही इसने खुद को फांसी के फंदे से बचाने की, अंतिम उम्मीद भी हालांकि अभी तक नहीं छोड़ी है. मृत्युदंड पाए बलवंत सिंह राजोआना को आज भी उम्मीद है कि उसे, सुप्रीम कोर्ट या फिर राष्ट्रपति फांसी की सजा होने से बचा लेंगे! इस मामले में बीते साल यानी सन् 2021 में मुजरिम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से निर्धारित समय के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा था.
कौन है बलवंत सिंह राजोआना?

बलवंत सिंह राजोआना सन् 1987 में पंजाब पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुआ था. बलवंत सिंह अपने नाम के अंत में लुधियाना जिला स्थित अपने गांव राजोआना (राजोआना कलां) का नाम लिखता है. कोर्ट कचहरी के दस्तावेजों पर नजर डालें तो, पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 16 लोगों के कत्ल के लिए भेजे गए मानव बम दिलावर सिंह को, इसी ने तैयार किया था. अगर दिलावर सिंह उस दिन ऑपरेशन को अंजाम देने में फेल हुआ होता तो, फिर वो काम (मानव बम की जिम्मेदारी) खुद बलवंत सिंह राजोआना को ही करना होता. आज मौत की सजा से माफी की उम्मीद में भटकते फिर रहे, बलवंत सिंह के इरादे कितने खतरनाक रहे हैं? यह जानकर हर किसी को हैरत होती है.

इसका अंदाजा उसके उसी बयान से लगता है जो बलवंत सिंह ने, बेअंत सिंह हत्याकांड को अंजाम देने के चंद महीने बाद ही कोर्ट में दिया था. बलवंत सिंह ने भरी कोर्ट में कहा था कि, “जज साहिब, बेअंत सिंह (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री जिनके साथ बलवंत और उसके साथियों ने 16 लोगों को बम से उड़वा दिया था) खुद को अमन का मसीहा समझने लगा था. जबकि वो हजारों मासूमों की जान लेकर खुद को भगवान समझने लगा था. इसलिए मैंने उसे खत्म करने का फैसला किया था.” बलवंत ने कोर्ट में चले अपने मुकदमे के दौरान 1984 सिख नरसंहार को लेकर भी नाराजगी जताई थी. बलवंत सिंह को अगस्त 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 16 निर्दोषों की हत्या के बाद गिरफ्तार किया गया था. जिसे सीबीआई की विशेष अदालत ने सन् 2007 में फांसी की सजा मुकर्रर की थी.

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