8 दिन में कपास के दाम 5000 से बढ़कर 9000 रुपये के पार, अब किसनों के दरवाजे पर जाकर व्यापारी कर रहे हैं खरीदारी
कपास की बढ़ती कीमतें इस समय शहर में चर्चा का विषय बनी हैं.राज्य में कपास की कीमत दिनों दिन बढ़ती जा रही है.मांग बढ़ने और सीमित आपूर्ति के कारण भविष्य में कपास की कीमतों के स्थिर रहने की उम्मीद है.
लेकिन इस साल जलवायु परिवर्तन और भारी बारिश के कारण कपास के नुकसान में वृद्धि भी हुई है.जिसके कारण उत्पादन में गिरावट देखी जा रही हैं.मांग के आधे से भी कम आपूर्ति होने के कारण अब छोटे-बड़े व्यापारी सीधे गांव आ रहे हैं और कपास की मांग कर रहे हैं.कपास की मांग बढ़ने से कीमतों में तेजी आई है.यदि मांग समान रही तो किसान अपनी मनचाही कीमत पर कपास बेचेंगे लेकिन सवाल यह है कि क्या बेचा जाए क्योंकि कीमतों में वृद्धि के बावजूद उत्पादन कम हो गया है.
महाराष्ट्र में खानदेश जिले में कपास व्यापक रूप से उगाया जाता है. हालांकि इस साल कई इलाकों में सोयाबीन का उत्पादन कपास की तरफ हुआ है. कपास बोते ही बारिश आ गई.किसनों का कहना हैं कि भारी बारिश से कपास को भारी नुकसान हुआ और जलवायु परिवर्तन ने भी उत्पादन कम कर दिया हैं.
व्यापारी किसनों के दरवाजे पर जा कर कपास की मांग कर रहे हैं
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की अच्छी मांग के कारण इसकी कीमत 9000 रुपये से ज्यादा होगया हैं लेकिन बारिश के कारण उत्पादन में भारी गिरावट आई है.इसके अलावा कपास उत्पादक रोपण से लेकर कटाई तक की भारी लागत के कारण अच्छी कीमत प्राप्त किए बिना बेचना नहीं चाहते हैं. हालांकि अधिक मांग के कारण व्यापारी सीधे किसनों के दरवाजे पर जा कर कपास की डिमांड कर रहे हैं लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा हैं.व्यपारियो का कहना है कि सायद किसान उच्च दरों की अपेक्षा कर रहे जिसके कारण व्यपारियो को कपास नही मिल पा रहा हैं.
दैनिक दरों में अंतर
कपास की कीमतों में पिछले आठ दिनों से तेजी आ रही है.इसलिए कपास जो दो महीने पहले 5,200 रुपये प्रति क्विंटल थी, आज बढ़कर 9,000 रुपये हो गई है.पहले दो किसानों से कपास खरीदने के बाद भी ट्रकों में भरते थे. लेकिन अब व्यापारी कह रहे हैं कि गांव में चक्कर लगाने के बाद भी कपास नहीं मिल रहा है. इसलिए अगर भविष्य में दरें बढ़ती हैं तो इसका फायदा किसानों को होगा.लेकीन अगर दरों में वृद्धि के कारण आय बढ़ती है तो इसका अलग-अलग प्रभाव भी होगा.