पिछले दो वर्षों में आईआईटी और एनआईटी में खाली रह गईं 19 हजार सीटें, शिक्षा मंत्री ने बताया ये कारण

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नई दिल्ली 10 फरवरी 2022 (नवीन चन्द्र पोखरियाल)

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन आई टी) देश के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान में गिने जाते हैं। हर साल लाखों स्टूडेंट्स इनमें एडमिशन पाने की पुरजोर कोशिश करते हैं। इनमें एडमिशन के लिए कंपीटिशन भी काफी मुश्किल होता है। लेकिन बीते दो वर्षों में देश के विभिन्न आईआईटी और एनआईटी में करीब 19 हजार सीटें खाली रह गई हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पिछले दो साल में आईआईटीज़ में 10 हजार से ज्यादा सीटें और एनआईटीज़ में 8700 से ज्यादा सीटों पर एडमिशन नहीं हुआ। राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने इन खाली सीटों की जानकारी दी।

आईआईटी में कितनी सीटें खाली

प्रधान ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2020-21 में आईआईटी में 5,484 सीटें खाली रह गईं। इनमें से 476 सीटें यूजी यानी बीटेक कोर्सेज़ (IIT BTech Seats) की हैं। इसके अलावा 3,229 सीटें इंजीनियरिंग पीजी यानी एमटेक कोर्सेज़ (IIT MTech Seats) और 1,779 पीएचडी कोर्सेज़ (IIT PhD Seats) में खाली रह गईं।

शैक्षणिक सत्र 2021-22 में अलग-अलग आईआईटी में कुल 5,296 सीटें खाली रहीं। इन खाली सीटों में से 361 सीट्स बीटेक की, 3,083 सीटें पीजी (एमटेक) की और 1,852 सीट्स इंजीनियरिंग पीएचडी की हैं।

क्यों खाली रह जा रही हैं सीटें

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ‘आईआईटी, एनआईटी और ट्रिपल आईटी जैसे प्रीमियर इंजीनियरिंग कॉलेजों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (Institutions of National Importance) का दर्जा प्राप्त है। इन संस्थानों में विभिन्न प्रोग्राम्स में एडमिशन क्राइटीरिया बेहद सख्त है. योग्य अभ्यर्थियों को जेईई एडवांस्ड रैंकिंग (JEE Advanced Rank) समेत अन्य मापदंडों के आधार पर दाखिला दिया जाता है, जो स्टूडेंट्स इन मापदंडों पर खरे उतरते हैं, वे ही एडमिशन पाते हैं।’

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