भगवा आतंक के नाम पर UPA सरकार ने मेरे खिलाफ 400 करोड़ खर्च किए, नहीं बना सकी आरोपी: इंद्रेश कुमार

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने शनिवार को दावा किया कि पूर्व की यूपीए सरकार ने तथाकथित भगवा आतंक के झूठे केस में उन्हें फंसाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी.

इंद्रेश कुमार शनिवार को संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच तथा अन्य संगठनों द्वारा आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.

इस सेमिनार के आखिर में एक प्रस्ताव पास किया गया और सरकार से मांग की गई कि जाति और धर्म को आतंकवाद से जोड़ना बंद किया जाए और ऐसा करने वाले को कानून के तहत दंडित किया जाए.

इंद्रेश कुमार ने कहा, “जाति और धर्म को आतंक से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों द्वारा इस तरह के गठजोड़ का अपने फायदे में शोषण किया जाता है. इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और कानून के तहत दंडनीय अपराध बनाया जाना चाहिए. धर्म और जाति के नाम पर किसी का भी शोषण रोका जाना चाहिए, निंदा की जानी चाहिए और इसके तहत दंडित किया जाना चाहिए.”

मेरे खिलाफ 300-400 करोड़ खर्च किए

पूर्व की यूपीए सरकार पर हमला करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि जब यूपीए सत्ता में थी तो मेरे खिलाफ भगवा आतंक के नाम पर 300-400 करोड़ रुपये खर्च की, पूरी मशीनरी लगा दी, लेकिन फिर भी आरोपी के रूप में वे मेरा नाम नहीं जुड़वा सके. फिर इस बेचारी सरकार को लोगों ने साल 2014 में सत्ता से बाहर कर दिया.

उन्होंने कहा, “मेरा नाम गवाहों या आरोपियों की सूची में नहीं था. लेकिन पूरी दुनिया को बताया गया था कि इंद्रेश कुमार शामिल थे, उनके खिलाफ एक मामला था. मैंने इतना बड़ा झूठ देखा है.”

इस प्रकरण का उल्लेख करते हुए, आरएसएस नेता ने लोगों से आह्वान किया कि जो गलत है उसके खिलाफ आवाज उठाने से कतई न डरें. उन्होंने कहा कि जब आप ईमानदार होते हैं और सच्चाई और मानवता के साथ खड़े होते हैं, तो दुनिया में कोई भी आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है.”

भारत में धर्मों को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में न बांटे

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इंद्रेश कुमार ने भारत में धर्मों को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के रूप में बांटने पर भी आपत्ति जताई, और इसे “एक अजीब स्थिति” कहा. उन्होंने कहा, “धर्म इंसान के विकास के लिए है, इंसानों में इंसानियत पैदा करने के लिए है. धर्म को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के रूप में बांटना ही अपने आप में अमानवीय और द्वेषपूर्ण है. यह मूल रूप से वोट बैंक की राजनीति है.

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