उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ल ने मुस्लिमों से की अपील- श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर में मौजूद ‘सफ़ेद भवन’ को हिंदुओं के हवाले कर दें,‘मुसलमान वसीम रिजवी से कुछ सीखें’

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लखनऊ, उत्तर प्रदेश 7 दिसम्बर (नवीन चन्द्र पोखरियाल)

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ल ने मथुरा में जारी विवाद पर मुस्लिम समाज से अपील की है। आनंद स्वरूप ने मंगलवार को कहा कि मुस्लिम खुद आगे आकर मथुरा में ‘श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर’ में स्थित ‘सफेद भवन’ (मस्जिद) को हिंदुओं के हवाले कर दें। उन्होंने आगे कहा कि अदालत ने अयोध्या मुद्दे का समाधान कर दिया लेकिन काशी (वाराणसी) और मथुरा में सफेद ढांचे हिंदुओं को आहत करते हैं। उनका इशारा काशी और मथुरा में बने दो मुस्लिम मजहबी ढांचों की ओर था।

आनंद स्वरूप ने आगे कहा ”वह समय भी आएगा जब मथुरा में हर हिंदू को चुभने वाला सफेद ढांचा अदालत की मदद से हटा दिया जाएगा। मुस्लिम समुदाय को आगे आना चाहिए और मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर में स्थित सफेद भवन को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए. एक समय आयेगा, जब यह काम पूरा होगा।”

उन्होंने आगे कहा कि डॉ राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि भारत के मुसलमानों को यह मानना होगा कि राम और कृष्ण उनके पूर्वज थे और बाबर, अकबर तथा औरंगजेब हमलावर थे। उनके द्वारा बनाई गई किसी इमारत से स्वयं को संबद्ध न करें। मुस्लिम समुदाय को आगे आना चाहिए और मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर में स्थित सफेद भवन को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए।

आनंद स्वरूप ने शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी के सनातन धर्म अपनाने से जुड़े सवाल पर कहा कि ये घर वापसी है और मुसलमानों को वसीम रिजवी का अनुकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा ”देश में सभी मुसलमान धर्मांतरित हैं। अगर वे अपना इतिहास देखेंगे तो पाएंगे कि 200 से 250 साल पहले वे हिंदू धर्म से इस्लाम में धर्मांतरित हुए थे। हम चाहेंगे कि उन सभी की ‘घर वापसी’ हो। भारत की मूल संस्कृति ‘हिंदुत्व’ और ‘भारतीयता’ की है जो एक दूसरे के पूरक हैं।” शुक्ल ने समाजवादी पार्टी, उसके संस्थापक मुलायम सिंह यादव और अध्यक्ष अखिलेश यादव को ”हिंदू विरोधी” करार दिया ”जिन्होंने अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था।”

उधर 6 दिसंबर बीत गया है, लेकिन मथुरा में पुलिस और प्रशासन अभी भी चौकन्ना है और फ़िलहाल तीन लेयर की सुरक्षा मस्जिद और मंदिर के बाहर तैनात की गई है। आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्णा ने कहा कि आज का दिन तो शांति से गुजर गया लेकिन हमें सतर्क रहना होगा। थुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद आसपास हैं। हिंदू संगठनों का दावा है कि जिस जगह पर मस्जिद है, वहीं श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उनका दावा ये भी है कि यहां पहले श्रीकृष्ण का मंदिर हुआ करता था जिसे 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। हिंदू संगठनों ने अदालत में 2 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के बीच हुए समझौते को गलत बताते हुए याचिका दायर की है। उनकी मांग है कि इस समझौते को निरस्त किया जाए और ईदगाह मस्जिद की जमीन हिंदू पक्ष को सौंपी जाए।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया, शहर की शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सोमवार शाम तक 5 लोगों के खिलाफ सोशल मीडिया पर भ्रामक एवं भड़काऊ पोस्ट डालने एवं इतने ही लोगों के खिलाफ आज श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मुख्य द्वार के समक्ष शांति भंग करने का प्रयास करने के मामले कार्रवाई की गई है। इस पूरी गहमागहमी के बीच, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मुख्य द्वार के सामने ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाकर शांति व्यवस्था भंग करने का प्रयास कर रहे 5 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

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