भारत ने ऐन मौक़े पर श्रीलंका को बचाया, श्रीलंकाई अख़बारों में क्या छपा है?

श्रीलंका इन दिनों उस परिवार के अभिभावक की तरह हो गया है जिसके ऊपर क़र्ज़ ढेर सारा है लेकिन चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं. यहाँ तक कि उस परिवार की दैनिक ज़रूरतों के लिए भी पड़ोसियों का मुँह देखना पड़ रहा है.
श्रीलंका के इस मुश्किल वक्त में भारत कई स्तरों पर मदद कर रहा है. पिछले हफ़्ते 13 जनवरी को श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंका को 90 करोड़ डॉलर की मदद की घोषणा की थी. लेकिन इतने से काम नहीं चला. ऐसे में भारत ने इस हफ़्ते मंगलवार को 50 करोड़ डॉलर की एक और मदद दी जिससे श्रीलंका पेट्रोलियम उत्पाद ख़रीद सके. भारत की इस मदद की रिपोर्ट श्रीलंका के अख़बारों में प्रमुखता से छपी है.
श्रीलंका के प्रमुख अख़बार डेली मिरर के पहले पन्ने पर ख़बर छपी है- तेल के प्यासे श्रीलंका को भारत ने दी लाइफ़लाइन. श्रीलंका के प्रमुख आर्थिक अख़बार डेली फ़ाइनैंशियल टाइम्स ने भी पहले पन्ने पर ख़बर प्रकाशित की है और लिखा है कि श्रीलंका जब ईंधन और ऊर्जा के संकट में समाता दिख रहा है, तब भारत ने मदद की है.
डेली मिरर ने श्रीलंका के आर्थिक संकट पर अपनी एक और रिपोर्ट में लिखा है, ”श्रीलंका अपने सहयोगियों का क़र्ज़दार है. श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार ख़ाली हो चुका है और अब अपना सोना बेचना शुरू कर चुका है. इन सबके बीच अमेरिका की रेटिंग एजेंसी फिच ने श्रीलंका की क्रेडिट रेटिंग घटाकर ‘सीसी’ कर दी है. यह रेटिंग डिफ़ॉल्ट होने से ठीक पहले की है.”
भारत ने दी राहत
श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पूर्व उप-गवर्नर और देश के जाने-माने अर्थशास्त्री डॉक्टर डब्ल्यू एक विजेवर्देना ने भारत की मदद पर ट्वीट कर कहा है, ”भारत ने श्रीलंका को दो महीने के लिए राहत दे दी है. इस बीच श्रीलंका को आर्थिक सुधार करना चाहिए. श्रीलंका को पता होना चाहिए कि भारत उसे इस संकट से पूरी तरह से नहीं निकाल सकता है. इस बीच श्रीलंका को आईएमएफ़ से बात करनी चाहिए और इससे एक स्थायी समाधान मिलेगा.”
डेली मिरर को ही दिए इंटरव्यू में श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पूर्व उप-गवर्नर और देश के जाने-माने अर्थशास्त्री डॉक्टर डब्ल्यू एक विजेवर्देना ने कहा है कि सरकार को आईएमएफ़ के पास जाना पड़ सकता है.
विजेवर्देना ने हाल ही में ट्वीट कर कहा था कि श्रीलंका के केंद्रीय बैंक में सोना 38.2 करोड़ डॉलर के मूल्य से कम होकर 17.5 करोड़ डॉलर का ही रह गया है. डेली मिरर ने विजेवर्देना से पूछा कि अभी श्रीलंका की जो स्थिति है, उसमें सोने के भंडार का इस्तेमाल किस तरह से होना चाहिए?
इसके जवाब में विजेवर्देना ने कहा है, ”डिफ़ॉल्टर होने से बचने के लिए सोना एक आख़िरी उपाय के तौर पर काम आता है. लेकिन सोना तब बेचना चाहिए जब कोई और विकल्प ना बचे. मिसाल के तौर पर भारत ने 1991 में 47 मीट्रिक टन सोना लंदन में एयरलिफ़्ट किया था. इसके बदले बैंक ऑफ़ इंग्लैंड और बैंक ऑफ़ जापान से 40 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ मिला था.
भारत ने सोना बेचकर ख़ुद को डिफ़ॉल्टर होने से बचाया था. श्रीलंका सोना बेच रहा है, इसका मतलब यही है कि अब कोई विकल्प नहीं बचा है. भारत ने यह काम गोपनीय तरीक़े से किया था लेकिन लंबे समय तक यह गोपनीय नहीं रहा था. द इंडियन एक्सप्रेस ने इसे लेकर कहानी छाप दी थी. तब वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में स्वीकार किया था कि भारत के पास कोई विकल्प नहीं था.”
श्रीलंका के प्रमुख आर्थिक अख़बार डेली फ़ाइनैंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भारत से 2.4 अरब डॉलर की मदद की पुष्टि की है. बासिल राजपक्षे की भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से बात हुई थी. पिछले महीने बासिल राजपक्षे भारत के दौरे पर आए थे और इसी दौरान भारतीय मदद को लेकर बात हुई थी.
डेली एफ़टी के अनुसार, बासिल राजपक्षे ने कहा कि भारत का श्रीलंका से लंबे समय से सहयोग रहा है. बासिल ने भारत की इस मदद के लिए आभार जताया है. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बासिल राजपक्षे ने श्रीलंका के पोर्ट, इन्फ़्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और मैन्युफ़ैक्चरिंग में भारत के निवेश का स्वागत किया है.
श्रीलंका का ऊर्जा संकट
श्रीलंका की सरकार ने इसी साल भारत के साथ मिलकर त्रिंकोमाली में 61 तेल टैंक बनाने का फ़ैसला किया था. श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदया गम्मनपिला ने कहा था कि भारत यह काम त्रिणको पेट्रोलियम टर्मिनल कंपनी के साथ करेगा.
श्रीलंकाई अख़बार डेली मिरर के अनुसार, ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि 29 जुलाई, 1987 में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था कि त्रिंकोमाली के सभी तेल टैंक फ़ार्म को केवल भारत के साथ ही विकसित किया जा सकता है.
श्रीलंका के पावर प्लांट के पास डीज़ल का स्टॉक ख़त्म होता जा रहा है. डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, डीज़ल ख़रीदने के लिए पैसे नहीं हैं और आशंका है कि श्रीलंका ऊर्जा संकट में बहुत गहरे समा सकता है. डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, ”सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड गहरे संकट में समाता दिख रहा है. सीलोन पेट्रेलियम कॉर्पोरेशन केलानितिसा पावर प्लांट पर ईंधन की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है, जिससे पिछली रात यह प्लांट बंद हो गया है. इस प्लांट को डीज़ल नहीं मिल रहा था. श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार ख़ाली है और डीज़ल ख़रीदने के लिए पैसे नहीं हैं.”
श्रीलंकाई अख़बार द आईलैंड से भारत की मदद पर एक विश्लेषक ने कहा है, ”बिना आईएमएफ़ के पास गए विदेशी फ़ंड की व्यवस्था श्रीलंका के लिए निर्णायक क़दम है. यह एक सकारात्मक प्रगति है. श्रीलंका जब आर्थिक संकट में फँसा है तो दोस्त देश से मदद मिल रही है.”