मासूमियत एक बच्चे की …1.5 टन वजनी, 51 इंच लंबी, स्वयं भगवान सूर्य श्री राम का अभिषेक करेंगे,ऐसी है रामलला की मूर्ति

अयोध्या,चंडीगढ (आज़ाद वार्ता)
अयोध्या. अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित की जाने वाली भगवान राम की मूर्ति 51 इंच लंबी है, इसका वजन 1.5 टन है और इसमें एक बच्चे की मासूमियत है. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि हर साल रामनवमी पर दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें मूर्ति के माथे को रोशन करेंगी.
मूर्ति की पूजा 16 जनवरी से शुरू होगी और इसे 18 जनवरी को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पानी, दूध और आचमन का मूर्ति पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा. चंपत राय ने कहा कि तीन मूर्तिकारों ने अलग-अलग भगवान श्री राम की मूर्ति बनाई, जिसमें से एक मूर्ति को चुना गया. जिसका वजन 1.5 टन के साथ-साथ पैर से माथे तक की लंबाई 51 इंच है.
चंपत राय ने आगे कहा कि भगवान श्री राम की मूर्ति की लंबाई और इसकी स्थापना की ऊंचाई भारत के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर इस तरह से डिजाइन की गई है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि राम नवमी को स्वयं भगवान सूर्य श्री राम का अभिषेक करेंगे क्योंकि दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें सीधे उनके माथे पर पड़ेंगी जिससे वह चमक उठेगा. मूर्ति की सौम्यता का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि गहरे रंग के पत्थर से बनी इस मूर्ति में न केवल भगवान विष्णु की दिव्यता और एक राजपुत्र की चमक है, बल्कि पांच साल के बच्चे की मासूमियत भी है.
उन्होंने कहा कि इस मूर्ति का चयन चेहरे की कोमलता, आंखों की झलक, मुस्कुराहट, शरीर आदि को ध्यान में रखते हुए किया गया है. 51 इंच ऊंची मूर्ति का सिर, मुकुट और आभा भी बारीकी से तैयार की गई है. चंपत राय के मुताबिक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू होगा. इसके अलावा 18 जनवरी को भगवान राम को गर्भगृह में सिंहासन पर स्थापित किया जाएगा. भगवान राम की केवल 5 वर्ष की आयु की यह मूर्ति मंदिर के भूतल पर रखी जाएगी और 22 जनवरी को इसका अनावरण किया जाएगा. भगवान राम के भाइयों, सीता और हनुमान की मूर्तियां पहली मंजिल पर रखी जाएंगी. यह मंदिर आठ महीने बाद बनकर तैयार हो जाएगा.
चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या के मंदिर भी बनाये जाएंगे. इसके अलावा यहां जटायु की मूर्ति पहले ही स्थापित की जा चुकी है. चंपत राय ने कहा कि मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारत के मंदिरों से प्रेरित है. निर्माण इंजीनियरों के अनुसार पिछले 300 वर्षों में उत्तर भारत में ऐसा कोई मंदिर नहीं बनाया गया है. उन्होंने आगे बताया कि यद्यपि पत्थर की आयु 1,000 साल है, लेकिन सूरज की रोशनी, हवा और पानी इस पर प्रभाव नहीं डाल पाएंगे क्योंकि नमी के अवशोषण को रोकने के लिए नीचे ग्रेनाइट स्थापित किया गया है.
चंपत राय ने बताया कि रामलला की मूर्ति में लोहे का भी उपयोग नहीं किया गया है क्योंकि इससे मूर्ति कमजोर हो जाती है. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ेगी, जमीन के नीचे एक बहुत मजबूत चट्टान बन जाएगी. जमीन के ऊपर किसी भी प्रकार के कंक्रीट का प्रयोग नहीं किया गया है, क्योंकि कंक्रीट की आयु 150 वर्ष से अधिक नहीं होती है. हर काम करते समय उम्र का ध्यान रखा गया है.’ चंपत राय ने कहा कि 22 जनवरी उनके लिए निजी रूप से 15 अगस्त 1947 जितना ही महत्वपूर्ण है. राय ने सभी से 22 जनवरी को देश भर के पांच लाख मंदिरों में भव्य पूजा के साथ मनाने की अपील की. शाम के समय प्रत्येक सनातनी को अपने घर के बाहर कम से कम पांच दीपक जलाने चाहिए. उन्होंने कहा कि लोग 26 जनवरी के बाद ही मंदिर में दर्शन के लिए आएं. उन्होंने भरोसा दिया कि मंदिर के दरवाजे तब तक खुले रहेंगे जब तक सभी लोग दर्शन नहीं कर लेते, यहां तक कि आधी रात को भी.