Jagdeep Dhankhar : जब जगदीप धनखड़ की जिंदगी में टूटा दुखों का पहाड़, आज भी याद करके रोने लगते हैं

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उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आज देर शाम तक आ जाएंगे।

एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की जीत लगभग तय है। कम से कम आंकड़े तो यही कहते हैं कि देश के अगले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ही होंगे।

राजस्थान के झुंझुनू के एक छोटे से गांव से निकलकर देश के दूसरे सबसे सर्वोच्च पद तक का सफर तय करने वाले धनखड़ की जिंदगी काफी संघर्षों वाली रही। जिस क्षेत्र में उन्होंने कोशिश की, उसमें उन्हें सफलता मिली। 12वीं के बाद आईआईटी में सिलेक्शन हुआ। एनडीए के लिए भी चयन हो गया। स्नातक के बाद सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास की। लेकिन उन्होंने वकालत का पेशा ही चुना।

राजनीति में आने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और जीतकर मंत्री तक का सफर पूरा किया। लेकिन इसके बाद उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा दुख मिला। आइए जानते हैं…

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14 साल के इकलौते बेटे की मौत ने झकझोर दिया
धनखड़ की शादी 1979 में सुदेश धनखड़ के साथ हुई। दोनों के दो बच्चे हुए। बेटे का नाम दीपक और बेटी का नाम कामना रखा। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही। 1994 में जब दीपक 14 साल का था, तब उसे ब्रेन हेमरेज हो गया। इलाज के लिए दिल्ली भी लाए, लेकिन बेटा बच नहीं पाया। बेटे की मौत ने जगदीप को पूरी तरह से तोड़ दिया। हालांकि, किसी तरह उन्होंने खुद को संभाला।
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बेटे की मौत का गम आज भी नहीं भुला पाए धनखड़
महज 14 साल के बेटे के खोने का गम आज भी धनखड़ भूल नहीं पाए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो धनखड़ बेटे को याद करके आज भी रोने लगते हैं।
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सैनिक स्कूल में पढ़े, राजनीति में हासिल की नई मुकाम
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनू जिले के किठाना में हुआ था। पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है। जगदीप अपने चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर आते हैं। शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई। गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ। इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की।

12वीं के बाद उन्होंने भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 12वीं के बाद धनखड़ का चयन आईआईटी और फिर एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन नहीं गए। स्नातक के बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर ली थी। हालांकि, आईएएस बनने की बजाय उन्होंने वकालत का पेशा चुना। उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत भी राजस्थान हाईकोर्ट से की थी। वे राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमैन भी रहे थे।
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जनता दल से चुनाव लड़े, सांसद चुने जाते ही मंत्री बन गए
धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी। धनखड़ 1989 में झुंझनुं से सांसद बने थे। पहली बार सांसद चुने जाने पर ही उन्हें बड़ा इनाम मिला। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। हालांकि जब 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने। 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था।

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