राजस्थान की सियासत का चर्चित चेहरा, जानिए कौन हैं एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए शनिवार को उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने जगदीप धनखड़ के नाम पर मुहर लगाई।

कहा जा रहा है कि 10 से 12 नामों को लेकर चर्चा हुई थी। इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी एनडीए की ओर से रंजन गोगोई के नाम का ऐलान कर सकती है। गोगोई पूर्व चीफ जस्टिस हैं।

राजस्थान की सियासत का चर्चित चेहरा

जगदीप धनखड़ राजस्थान की सियासत का चर्चित चेहरा रहे हैं। वे इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रह चुके धनखड़ सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी रहे हैं। वे राजस्थान की जाट बिरादरी आते हैं और राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है। धनखड़ कानून, सियासत, सियासी दांवपेंच और हर पार्टी के अंदर अपने संबंधों की महारत के लिए जाने जाते हैं। जाट समुदाय में धनखड़ की अच्छी खासी साख है। धनखड़ की नियुक्ति का एक मकसद शायद इस बिरादरी के बीच संदेश भी हो।

केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं

धनखड़ केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। वह झुंझुनूं से 1989 से 91 तक वे जनता दल से सांसद रहे। हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। अजमेर से कांग्रेस टिकट पर वे लोकसभा चुनाव हार गए थे। फिर धनखड़ 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए। वह अजमेर के किशनगढ़ से विधायक चुने गए। धनखड़ सिर्फ नेता ही नहीं माने हुए वकील भी हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं तथा राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।

बंगाल के राज्यपाल हैं जगदीप धनखड़

जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। शनिवार को दिल्ली में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुलाकात की। दिल्ली दौरे पर गए धनखड़ ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद से ही इस मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे थे।

राज्यसभा को चलाने की जिम्मेदारी

भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष की अवधि का होता है, लेकिन वह इस अवधि के समाप्त हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक पद पर बने रह सकते हैं। उन पर राज्यसभा को चलाने की जिम्मेदारी होती है। उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 6 अगस्त को होगा।

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