आकाशीय बिजली – कुदरत का अद्भुत, हैरान करने वाला और डराने वाला रूप:रहस्य खोजने में वैज्ञानिक सफल न हो सके – ज्योतिष शास्त्र -क्या संकेत देता है

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चंडीगढ (आज़ाद वार्ता)


आकाशीय बिजली – का डरावना रूप: # कुदरत का अद्भुत, हैरान करने वाला और डराने वाला नजारा कभी-कभार ही दिखने को मिलता है. #मौसम खराब हुआ. 50 मिनट तक लगातार बिजली गिरती रही. यानी हर 30 सेकेंड में एक – #रूह कांप जाय, डरावना और खतरनाक नजारा :# आकाशीय बिजली गिरने पर विज्ञान आज तक कोई पैमाना नही बना पाया

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार मौसम की भविष्यवाणी करते हुए कहा गया है कि आगे मंगल पीछे राहु, मध्य बिराजे भान, नित आकाशीय उपद्रव हो, जाएं सैकड़ों जान”:
अर्थात जब मंगल सूर्य की राशि से आगे हो तथा राहु सूर्य की राशि से पीछे हो, तो आकाशी बिजली या ब्रजपात से पृथ्वी काँप उठती है:

कुदरत का अद्भुत, हैरान करने वाला और डराने वाला नजारा कभी-कभार ही दिखने को मिलता है. मौसम खराब हुआ. 50 मिनट तक लगातार बिजली गिरती रही. यानी हर 30 सेकेंड में एक – रूह कांप जाय, डरावना और खतरनाक नजारा : इस तस्वीर में तीन तरह की कड़कती और गिरती हुई बिजलियां दिख रही हैं. पहली वो जो बादलों से बादलों के बीच हैं. यानी शुरू होकर वहीं खत्म हो गईं. दूसरी वो जो बादलों से जमीन पर आती है. यानी बादलों से पैदा होकर जमीन पर गिरती हैं. तीसरी वो जो बादलों से शुरू होकर पानी में गिरती दिखाई पड़ीं. तुर्की के तटीय शहर मुदान्या में 16 जून 2023 को घटित हुआ

आज़ाद न्यूज़ पोर्टल के लिए विवेक गौतम कोटला
ग्रहों के सेनापति मंगल 01 जुलाई 2023 को रात 01 बजकर 52 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करेंगे। जुलाई में मंगल का राशि परिवर्तन कई राशियों के लिए परेशानी भरा हो सकता है। दरअसल मंगल को अग्नि का कारक कहा जाता है। इसके अलावा वह सिंह राशि में जा रहे हैं, जो अग्नि तत्व राशि है। सिंह राशि मंगल के लिए अनुकूल मानी जाती है और यहां मंगल शुभ प्रभाव देते हैं। लेकिन इस राशि में मंगल देव, शनि के साथ समसप्तक योग बना रहे हैं। पंडित श्रीनिवास तलवाडा के मुताबिक ये कई राशियों के लिए मुसीबतें लेकर आ सकता है।
जब भी कोई दो ग्रह एक दूसरे से सातवें स्थान पर होते हैं, तब उन ग्रहों के बीच समसप्तक योग बन जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो जब ग्रह आपस में अपनी सातवीं पूर्ण दृष्टि से एक-दूसरे को देखते हैं तब समसप्तक योग बनता है। जब मंगल सिंह राशि में गोचर करेंगे, तो उस समय शनि कुंभ राशि में होंगे। ये दोनों राशियां एक दूसरे सातवें स्थान में हैं। समसप्तक वैसे तो एक शुभ योग होता है, लेकिन शुभ-अशुभ ग्रहों की युति के कारण इसके फल में भी बदलाव आता है। यहां शनि और मंगल, दोनों को पापी ग्रह माना जाता है। इसके अलावा दोनों की एक-दूसरे पर पूर्ण दृष्टि होगी। मंगल अग्नि तत्व राशि में होने के कारण और ज्यादा उग्र होंगे, वहीं शनि वक्री अवस्था में अपनी स्वराशि में बली अवस्था में हैं। ऐसे में कई राशियों को इसके अशुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

विद्वान जन की राय लेते हुए चंद शेखर जोशी ने अपने आलेख में लिखा है आकाश बिजली का वोल्टेज 10 करोड़ वोल्ट बचना असम्भव होता है, आपके आसपास बिजली गिरने वाली है- यह संकेत आने लगते है :

आकाशीय बिजली गिरने पर विज्ञान आज तक कोई पैमाना नही बना पाया गिरती, ऐसे मे सावधानी से इसके कहर से बचा जा सकता है, आकाशीय बिजली पेड़ को करती है आकर्षित, न लें पनाह,

बारिश के मौसम में बिजली गिरने की घटनाएं सबसे आम क्यों हैं? बादलों के निचले किनारे पर ऋणात्मक आवेश होता है जिसके कारण प्रेरण के कारण इमारतों या पेड़ों के ऊपरी भाग पर धनात्मक आवेश जमा हो जाता है।

यह सवाल आया है कि बिजली क्यों गिरती है? कैसे बनती है? बता दें कि वैज्ञानिक भी निरंतर इसी कोशिश में हैं कि वे आकाशीय बिजली के बारे में सारी जानकारी इकठ्ठा कर सकें। कई वर्ष से वैज्ञानिक इस कोशिश में लगे हैं कि बिजली गिरने का समय और स्थान की सटीक जानकारी उन्हें हासिल हो जाए लेकिन अध्ययन में करोड़ों डॉलर खर्च करने के बावजूद अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।

बरसात का मौसम आते ही आकाशीय बिजली या वज्रपात के मामले भी बढ़ जाते हैं. हर साल आकाशीय बिजली गिरने से कई इंसानों व मवेशियों की मौत हो जाती है. आकाश से गिरी बिजली किसी न किसी माध्यम से जमीन में जाती है, और उस माध्यम में जो जीवित चीजें आती हैं, उनको नुकसान पहुंचता है। आपके आसपास बिजली गिरने वाली है, यदि आकाशीय बिजली चमक रही है और आपके सिर के बाल खड़े हो जाएं व त्वचा में झुनझुनी होने लगे तो फौरन नीचे झुककर कान बंद कर लें। यह इस बात का सूचक है कि आपके आसपास बिजली गिरने वाली है

गर्मी में पानी भाप बनकर ऊपर उड़ जाता है. जब पानी भाप बनकर ऊपर उठता है तो प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर जाने पर तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की कमी आती है. जैसे जैसे पानी ऊपर उठता है वह जमने लगता है. जब बर्फ के टुकड़े आपस में टकराने लगते हैं तो इनमें घर्षण उत्पन्न हो जाता है. इस घर्षण के कारण स्ट्रेटिक करंट उत्पन्न हो जाता है. करेंट का पॉजिटिव चार्ज ऊपर चला जाता है और निगेटिव चार्ज नीचे आ जाता है. अब ये निगेटिव चार्ज पॉजिटिव को ढूंढने लगता है और जैसे ही इसे जमीन पर जहां कहीं भी पॉजिटिव चार्ज नजर आता है यह वहीं गिर जाता है. इसी को आकाशीय बिजली या वज्रपात बोलते हैं. इस बिजली का वोल्टेज 10 करोड़ वोल्ट होता है. यही वजह है कि इस बिजली से आदमी की मौत हो जाती है.

विवेक गौतम कोटला की रिपोर्ट

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