लोकसभा चुनाव 2024:शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी के मध्य फिर गठबंधन का ऐलान हुआ तो लोकसभा चुनाव से पहले कितनी बदल जाएगी पंजाब की राजनीति?आइए पांच बिन्दुओं मे समझें

चंडीगढ (आज़ाद वार्ता)
कहा जाता है कि राजनीति में ना कोई हमेशा दोस्त रहता है और न ही दुश्मन. राजनीति में शह और मात का खेल चलता रहता है. शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की अगर बात करें तो इन दोनों के बीच इस वक्त कुछ ऐसा ही चल रहा है.
दो साल पहले किसान आंदोलन के समय टूटा बीजेपी-अकाली दल का गठबंधन एक बार फिर जुड़ने को तैयार है.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सियासी समीकरण फिर बदलते दिखाई दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि अकाली दल-बीजेपी के गठबंधन की सारी रणनीति बन चुकी है. बस औपचारिक घोषणा बाकी है. ऐसे में सवाल है कि अगर बीजेपी और अकाली दल के बीच फिर गठबंधन का ऐलान होता है तो पंजाब की राजनीति में क्या बदलाव आएंगे? आइए पांच बिन्दुओ से समझते हैं…
- एक तरफ जहां बीजेपी की तरफ से बार-बार दावे किए जाते हैं कि उन्हें क्षेत्रीय दलों से कोई फायदा नहीं मिलता, लेकिन हकीकत कुछ और है. जहां विपक्षी पार्टियां महागठबंधन के जरिए अपने आपको मजबूत बना रही हैं. वहीं बीजेपी भी क्षेत्रीय दलों को अपने साथ मिलाकर मजबूती से चुनाव मैदान में उतरना चाहती है.
- अकाली दल गठबंधन से अलग होकर अपनी सियासी जमीन खो चुका है. गठबंधन से अलग होकर विधानसभा चुनाव हो, चाहे जालंधर उपचुनाव, उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. अब वो फिर से बीजेपी के साथ मिलकर अपनी सियासी जमीन मजबूत करना चाहता है.
- बीजेपी बड़ी मजबूती से पंजाब में सत्तासीन आम आदमी पार्टी का सामना करना चाहती है. क्योंकि जालंधर उपचुनाव में हुई हार से उसे समझ आ गया है वो अकेले पंजाब में अपने दम पर नहीं जीत सकती. इसलिए अकाली दल को साथ अब दोगुनी मजबूती से मैदान में उतरना चाहती है.
- एक तरफ जहां बीजेपी की तरफ से पंजाब में प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा की जगह सुनील जाखड़ को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. तो अब पंजाब में किसी मोर्चे पर बीजेपी कमजोर नहीं पड़ना चाहती. इसलिए सुनील जाखड़ के अनुभव और अकाली दल की पंजाब में पकड़ से बीजेपी मजबूत स्थिति में आनी चाहती है.
- किसान कानूनों की वजह से बीजेपी और किसानों में दूरी को कम करने के लिए बीजेपी अकाली दल का साथ चाहती है. बीजेपी का आस है कि अकाली दल के वोट बैंक का फायदा उन्हें मिल सकता है. अकाली दल किसानों और बीजेपी के बीच की दूरी को पाटने का काम करेगा.