मध्य प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला -राजधानी भोपाल से 14 किलोमीटर दूर इस्लाम नगर गांव अब जगदीशपुर के नाम से जाना जाएगा

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मोहम्मद खान ने राजपूतों को हलाल कर बदला था नाम, राजपूत मेहमान रात्रिभोज कर रहे थे तभी धोखे से मोहम्मद खान ने सभी को हलाल कर मार दिया था

नई दिल्ली 3 फरवरी 2023 (नवीन चन्द्र पोखरियाल)

मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला सुनाया है।मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 14 किलोमीटर दूर इस्लाम नगर गांव का नाम अब जगदीशपुर हो गया है। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। 308 साल पहले यह गांव जगदीशपुर के नाम से ही जाना जाता था। सनद रहे शिवराज सरकार ने सूबे के होशंगाबाद जिले का नाम बदलकर नर्मदापुरम कर दिया था। सूबे के राजस्व विभाग ने बुधवार को इस्लाम नगर गांव का नाम जगदीशपुर किए जाने संबंधी अधिसूचना जारी की।

आइए जानते हैं इसका इतिहास

जगदीशपुर से इस्लाम नगर बनने की रोंगटे खड़ी करने वाली कहानी है। औरंगजेब की सेना के भगोड़े सैनिक दोस्त मोहम्मद खान ने 308 साल पहले इसका नाम इस्लाम नगर किया था। इसका नाम वापस जगदीशपुर करने की फाइलें 30 साल से चल रही थी।

अफगानिस्तान के खैबर के तीराह का रहने वाला मोहम्मद खान 1696 में उत्तर प्रदेश के जलालाबाद आ गया। वह इतना क्रोधी स्वभाव का था कि छोटी सी बात पर हुए झगड़े में उसे ही शरण देने वाले अमीर जलाल खान के दामाद को सरेआम मार डाला। वहां से भागकर वह करनाल और फिर दिल्ली चला गया। यहां मुगल सेना में भर्ती हो गया।

मुगल और मराठा युद्ध के चलते मोहम्मद खान 1703 में मालवा आ गया। यहां उसने अपने हथियार आदि विदिशा के शासक मोहम्मद फारूख के पास जमा कर दिए और मामूली झगड़े के बाद उसकी भी हत्या कर दी। इसके बाद वह मंगलगढ़ में शरण पाने में सफल हो गया और वहां के महाराज-महारानी के साथ महल में रहने लगा।

मंगलगढ़ के महाराज की मृत्यु हो जाने पर मोहम्मद खान ने मंगलगढ़ को भी लूट लिया और सारा खजाना लेकर बैरसिया आ गया। यहां भी अपने स्वभाव के अनुरूप उसने यहां के सूबेदार ताज मोहम्मद से पहले तो बैरसिया को लीज पर लिया और बाद में उसे भी धोखा देकर बैरसिया पर कब्जा जमा लिया।

आपको बता दें कि जगदीशपुर में 11वीं सदी के परमार कालीन मंदिर के पत्थर और मूर्तियां मिलती हैं। सम्भव है कि यहां परमार काल में मंदिर रहे होंगे। परमारों के उपरांत यह क्षेत्र गढ़ा-मंडला जबलपुर के गोंड राजा संग्राम शाह के बावन गढ़ों में से एक था, इसलिए यहां पर एक गोंड महल भी है। गोंड शासन के बाद यह गढ़ और किला देवड़ा राजपूतों के अधीन रहा। 1715 में दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर पर आक्रमण किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।

राजपूतों पर आक्रमण में असफल रहे दोस्त मोहम्मद खान ने अपने स्वभाव के अनुरूप षड्यंत्र का सहारा लिया। उसने राजपूत शासक देवरा चौहान को बेस नदी के किनारे सहभोज के लिए बुलाया। जब सभी देवरा चौहान समेत राजपूत मेहमान रात्रिभोज कर रहे थे, तभी तम्बू की रस्सियां काट दी गईं और सभी राजपूतों को हलाल कर दिया गया।

कहते हैं कि इतना खून बहा कि नदी का पानी लाल हो गया और तभी से यह नदी हलाली के नाम से जानी जाने लगी। इस तरह धोखे से जगदीशपुर पर दोस्त मोहम्मद ने कब्जा कर लिया और उसका नाम बदलकर इस्लामनगर कर दिया।

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