राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा नव गर्जिया मंदिर गुलटघट्टी में किया गया मकर सक्रांति उत्सव का आयोजन

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उत्तराखंड/चंडीगढ़ 16 जनवरी 2023 (सचित गौतम)

दिनांक 16 जनवरी 2023 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा नव गर्जिया मंदिर गुलटघट्टी में मकर सक्रांति उत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व दर्जा मंत्री दिनेश मेहरा ने की।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए वीर सिंह, जिला सेवा प्रमुख ने कहा कि लोककल्याण का पर्व मकर संक्रांति में दान का महात्म्य सभी जानते है, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव इसी दिन मकर संक्रांति को मनाया जाता है। अक्षयपात्र (खप्पर) में शिव के रूप गुरु गोरक्षनाथजी महाराज को खिचड़ी चढ़ाई जाती है।

मान्यता है कि गुरु गोरक्षनाथजी महाराज भ्रमण करते करते हिमाचल क्षेत्र के प्रतिष्ठित शक्तिपीठ माँ ज्वाला देवी मंदिर पहुंचे। महामाया ज्वालाजी उनसे आतिथ्य स्वीकार करने का अनुरोध कर उन्हें भोजन कराना चाहती थीं पर शाक्त परम्परा में पंचमकार समिश्रण तत्व के कारण तामसी भोजन लेने को गोरक्षनाथ जी महाराज ने साफ इनकार कर दिया और सात्विक भोजन की बात कही जिसे देवी ने सहज स्वीकार कर लिया। ज्वाला माता से उन्होंने निवेदन किया कि वे भिक्षान्न से बनी खिचड़ी का भोग सहर्ष लेते हैं। तब देवी ने कहा मैं पानी गरम करती हूं आप भिक्षान्न लेकर आएं।

जिला सेवा प्रमुख ने आगे बताया कि खिचड़ी के लिऐ भिक्षा मांगने निकले गुरु गोरक्षनाथजी गोरखपुर के अचिरावती तट (राप्ति) तक आ गए और यहां के प्रकृति सम्पन्न वन क्षेत्र में आते ही वे सबकुछ भूल कर यहीं तपस्यारत हो गए। उन्होंने यहीं अपने खप्पर को रख दिया और उस दिन मकर संक्राति होने के कारण भक्त उसमें चावल उड़द तिल घी आदि चढ़ाते गए। गोरक्षनाथ जी भक्तों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी देने लगे। इस तरह न तो उनका खप्पर भरा और ना ही वे ज्वाला देवी मंदिर वापस लौटे। कहते हैं आज भी माँ ज्वालादेवी मंदिर में अदहन का पानी गुरु गौरक्षनाथजी महाराज की आशा में नित्य खौल रहा है कि वे आएंगे तब खिचड़ी पकेगी। इस प्रकार गुरु महाराज का खप्पर तब से लेकर आज तक कभी भरा ही नहीं।

इस अवसर पर पूर्व दर्जा मंत्री दिनेश मेहरा ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन भगवान भास्कर (सूर्य) अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अतएव इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही दिन चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। मकर-संक्रांति से प्रकृति भी करवट बदलती है। इस दिन लोग पतंग भी उड़ाते हैं।

इस अवसर पर तहसील प्रचारक गौतम, नगर संघचालक अजय अग्रवाल, नगर कार्यवाह अतुल अग्रवाल, सह नगर कार्यवाह सुभाष ध्यानी, नगर व्यवस्था प्रमुख हर्षवर्धन सुन्द्रियाल, नगर प्रचार प्रमुख नवीन पोखरियाल, नगर शारीरिक प्रमुख अभिषेक गुप्ता, विजेन्द्र सिंह, सुरेश राजपूत, बिसन पंत, मोहित सक्सेना, हेमंत, अनुपम सक्सेना, भास्कर पंत, नवीन करगेती, जगमोहन सिंह बिष्ट, पूरन नैनवाल, लालचंद मांझी सहित काफी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित थे।

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