गंगा मैया की अखण्ड कृपा- हरिद्वार के गंगा घाटों पर प्रसाद और सिंदूर बेचा करते थे– 26 जनवरी को आस्ट्रेलियाई सरकार से’ऑस्ट्रेलियन ऑफ द ईयर’सम्मान

चंडीगढ (आज़ाद वार्ता)
गंगा मैया की अखण्ड कृपा हो गई —कभी हरिद्वार के गंगा घाटों पर प्रसाद और सिंदूर बेचा करते थे– 26 जनवरी को जब भारत गणतंत्र दिवस मनाएगा, ठीक उसी वक्त आस्ट्रेलियाई सरकार भी ऑस्ट्रेलिया डे के रूप में इस दिन को मनाती है. उसी दिन डॉक्टर अंगराज को ‘ऑस्ट्रेलियन ऑफ द ईयर’सम्मान दिया जाएगा.
हरिद्वार के रहने वाले डॉ अंगराज खिल्लन– कभी हरिद्वार के गंगा घाटों पर प्रसाद और सिंदूर बेचा करते थे, और अब उन्हें ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा सम्मान मिलने जा रहा है. जिस दिन भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा होगा उसी 26 जनवरी के दिन डॉ अंगराज खिल्लन को ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े सम्मान ‘ऑस्ट्रेलियन ऑफ द ईयर’ से नवाजा जाएगा
डॉ अंगराज खिल्लन हरिद्वार में हरकी पैड़ी के पास रहते थे. उनका घर आज भी यहां मौजूद है. जहां उनके दो भाई रहते हैं. अंगराज बताते हैं परिवार में 7 सदस्य होने की वजह से उन्होंने संघर्ष को बड़ी करीबी से देखा है. वह परिवार में सबसे छोटे थे. ऐसे में पिता से लेकर भाई तक कैसे जीवन यापन करने के लिए संघर्ष कर रहे थे ये वो देख रहे थे. अंगराज के पिताजी की हरकी पैड़ी के पास ही आटे की चक्की हुआ करती थी. वो स्कूल से आने के बाद दुकान पर बैठा करते थे, जहां वो गेहूं पीसते थे.
छुट्टियों के दौरान वे हरिद्वार के बाजार और हरकी पैड़ी के घाटों पर प्रसाद की थैली, जल, सिंदूर आदि बेचने का काम करते थे, जिससे उन्हें कुछ कमाई होती थी. परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके परिवार के अन्य सदस्य भी ये काम करते थे. डॉ अंगराज खिल्लन ने हरिद्वार के भल्ला कॉलेज से सातवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद गुरुकुल से सीपीएमटी करने के बाद उन्होंने दिल्ली और अन्य जगहों पर नौकरी की. डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने लगभग 3 साल दिल्ली के प्रसिद्ध हॉस्पिटल राम मनोहर लोहिया में भी अपनी सेवाएं दी. आज से लगभग 18 साल पहले वे ऑस्ट्रेलिया चले गये. डॉ अंगराज खिल्लन ऑस्ट्रेलिया से पहले कई अन्य देशों में भी काम कर चुके हैं..
अंगराज बताते हैं जिस तरह से भारत में भी यही चीजें कई बार सामने आती हैं कि किसी दवाई में गोमूत्र मिला हुआ है, तो उसे एक समुदाय लेने से इनकार करता है. इसी तरह की कई जटिलताओं से ऑस्ट्रेलिया का स्वास्थ्य सिस्टम गुजर रहा था. उन्होंने इसके लिए अपने अलग-अलग देशों के अनुभव को वहां पर सोशल वर्क के तहत धरातल पर उतारा. लोगों के बीच अकेले जाकर ही अपनी प्रतिभा के बल पर लोगों को समझाने का काम किया. शुरुआत के 12 साल में इसका असर दिखने लगा. लोग दवाई इंजेक्शन या अन्य स्वास्थ्य सामग्रियों से परहेज करते थे और उनकी हालत में डॉक्टर अंगराज के समझाने के बाद सुधार आने लगा. इसके बाद उन्होंने एक फाउंडेशन बनाई.
अंगराज बताते हैं कि इसके बाद इस पूरे मिशन की खबर ऑस्ट्रेलियाई सरकार को लगी. यह सम्मान उनके सालों की मेहनत को देखते हुए दिया जा रहा है, जिस पर ऑस्ट्रेलियन सरकार भी नजर बनाये हुए थी. ऑस्ट्रेलियाई सरकार साल में एक बार और सिर्फ एक व्यक्ति को ये पुरस्कार देती है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है की अंगराज ने ऑस्ट्रेलिया में किस क्रांति को अंजाम दिया. 26 जनवरी को जब भारत गणतंत्र दिवस मनाएगा, ठीक उसी वक्त आस्ट्रेलियाई सरकार भी ऑस्ट्रेलिया डे के रूप में इस दिन को मनाती है. उसी दिन डॉक्टर अंगराज को ‘ऑस्ट्रेलियन ऑफ द ईयर’सम्मान दिया जाएगा.
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