मेरे शिष्य धीरेंद्र शास्त्री गलत नहीं,धर्मांतरण कराने वाले षड्यंत्र कर रहे, बोले-जगदगुरू रामभद्राचार्य

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चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर और जगदगुरू स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने शिष्य व बागेश्वधाम के महंत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का खुला समर्थन किया है।
उन्होंने कहा है कि उनका शिष्य कभी गलत नहीं हो सकता। उनकी साधना, मंत्र साधना, मंत्र शक्ति का प्रभाव है कि वे सब कुछ बता देंते हैं। शिष्य के खिलाफ अर्नगल बयानबाजी करने वालों के खिलाफ मानहानि का केस करने की बात भी उन्होंने मीडिया के सामने कही है। बता दें की पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दिव्य दरबार, उनके द्वारा लोगों के पर्चे पर पहले से जानकारी और समस्याएं व भविष्य बताने को लेकर नागपुर में चुनौती के बाद विवाद छिड़ गया है। बड़े-बड़े शंकराचार्य तक इस मामले में दो फाड़ नजर आ रहे हैं।

जगदगुरू स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा जो कहा और किया जा रहा है वह धर्म और मर्यादा के अनूकूल है। उनका शिष्य कभी गलत नहीं हो सकता है। उनकी बातों को तोड़ मरोड़कर गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। धर्मांतरण के बाद कई ईसाई और मुसलमानों की उन्होंने हिन्दू धर्म में वापसी कराई है, इसके कारण धर्म विरोधी लोग उनका विरोध कर रहे हैं। वे लोग सहन नहीं कर पा रहे हैं, निर्थक आक्षेप कर रहे हैं। कुछ विधर्मी लोग राजनीति के चलते आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कम उम्र में उनके शिष्य की ख्याति से लोग जल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो भी उनके शिष्य के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं, आरोप लगा रहे हैं, उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म में तर्क होना चाहिए वे इसके पक्ष में है, लेकिन कुतर्क नहीं होना चाहिए। तर्क भी शास्त्रों के अनुसार ही होना चाहिए।

साधना, तप और मंत्र सिद्धी से सबकुछ संभव है
चमत्कार-भविष्य बताना एक तुक्का है, ड्रामा है

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा दिव्य दरबार में बताए जा रहे भविष्य और अन्य चमत्कारों को लेकर कहा कि साधना, तप और सिद्धि से यह सब संभव होता है। उनकी तपस्या, पारिवारिक क्रम, साधना का क्रम होता है। इसके बाद कुछ भी असंभव नहीं रहता है। असंभव शब्द मूर्खों की डिक्शिनरी में होता है। धीरेंद्र कृष्ण ने कठिन साधना से मंत्र सिद्धि प्राप्त की है। रामभद्रचार्य जी के अनुसार उन्होंने खुद धीरेंद्र कृष्ण को श्रीराम नाम मंत्र की दीक्षा दी है। उन्होंने दावा करते हुए मीडिया के सामने कहा कि देवी-देवता मंत्रों के अधीन होते हैं। मंत्र सिद्धी से चमत्कार हो सकते हैं। सनातन धर्म में यह संभव है।

मेरे नेत्र नहीं, फिर भी ऋग्वेद सहित ग्रंथ कंठस्थ

पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने साधना और मंत्र शक्ति और सि​द्धी को लेकर स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरे नेत्र नहीं है। साधना और मंत्र शक्ति के बल पर ऋग्वेद, हनुमान चालीसा, श्रीरामचरित मानस से लेकर धर्मग्रंथों के करीब डेढ़ लाख पृष्ठ उन्हें कंठस्थ्य हैं। यह तप का प्रभाव है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अंधविश्वास अन्य धर्मों में बहुत होता है, लेकिन वहां कोई कुछ नहीं कहता। सनातन धर्म जो कुछ है वह स्पष्ट है। धीरेंद्र ने जो लोगों की​ हिन्दू धर्म में वापसी कराई है, उससे धर्मांतरण कराने वाले बौखलाए हुए हैं। हमने केंद्र को भी धर्मांतरण को लेकर सख्त कानून बनाने के लिए लिखा है।

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