नड्डा के इस बयान को नीतीश ने दिल पर ले लिया और टूट गया जेडीयू-भाजपा का गठबंधन

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30 और 31 जुलाई को बीजेपी ने पटना में शक्ति प्रदर्शन किया. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं बीजेपी यह शक्ति विरोधी पार्टी से ज्यादा सरकार की साथी जेडीयू को अपने ताकत दिखाने के लिए था.

बीजेपी का बिहार में इस तरह शक्ति प्रदर्शन नीतीश कुमार को रास नहीं आया. उसपर नीम पर करेला साबित हुआ

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का वह बयान जो उन्होंने पटना में दिया. जेपी नड्डा ने कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर बीजेपी अपनी विचारधारा में ऐसे ही आगे बढ़ती रही तो आने वाले समय में क्षेत्रीय पार्टियां खत्म हो जाएंगी औऱ केवल बीजेपी बचेगी.
जेपी नड्डा का यह बयान नीतीश कुमार को नागवार गुजरा और अब सूबे में यह स्थिति आ गई कि बीजेपी और जेडीयू का महागठबंधन टूट गया.

जेडीयू विधायकों को तोड़ने की थी तैयारी
इसके साथ ही एक बात यह भी सामने आई की बीजेपी की तरफ से जेडीयू विधायकों को तोड़ने की कोशिश की गई. कहा जा रहा है बीजेपी की तरफ से 6 करोड़ रुपए और मंत्री पद का ऑफर जेडीयू विधायकों को दिया गया.
दरअसल जेडीयू को विश्वास हो गया कि आरसीपी सिंह के माध्यम से बिहार में बीजेपी महाराष्ट्र के जैसा शिंदे वाला सेंटिग कर रही थी. इसके लिए बीजेपी जेडीयू विधायकों के साथ कांग्रेस विधायकों को भी अपने पाले में लाने की तैयारी कर रही थी.
कांग्रेस पर भी थी BJP की नजर

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस विधायकों के पास भारी मात्रा में कैश मिलने के बाद नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी को सतर्क किया साथ ही महागठबंदन के साथ आने के लिए भी कहा. जिसके बाद तेजस्वी यादव के प्रतिरोध मार्च में तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस खड़ी नजर आई. इसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी कोई कांड करे उससे पहले महागठबंधन के साथ जाने का मन बना लिया.
साथ आने के लिए तेजस्वी हो गए तैयार

तेजस्वी यादव तो इसकी प्रतीक्षा महीनों से कर रहे थे. वह भी झट से राजी हो गए. फिर सरकार बनाने की रूपरेखा तैयार हुई. जेडीयू की तरफ से शर्त था कि सीएम नीतीश कुमार रहेंगे. इसके बदले आरजेडी जो मांग ले. इसके बाद अब खबर आ रही है कि नीतीश कुमार सीएम बनेंगे और तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे.इसके साथ ही आरजेडी को गृह मंत्रालय भी दिया जा सकता है.

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