नॉमिनेटिड पार्षद मौजूदा हालात में मददगार हो सकते हैं,सभी वर्गों , विशेष तौर पर पत्रकारों को भी प्रतिनिधित्व मिले

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चंडीगढ़(केवल भारती, विवेक गौतम)

वर्तमान नगर निगम चंडीगढ़ चुनाव पश्चात पहली बार सम्पन्न सदन बैठक में हंगामा सभी ने देखा । एक पार्टी के नेता ने तो प्रशासन को पत्र लिखकर यहां तक कह दिया कि यह हंगामे पूरे पाँच साल तक चलते रहेंगे और चंडीगढ़ का विकास नहीं हो सकता है । उन्होंने सुझाव दिया कि वर्तमान नगर निगम भंग कर नए चुनाव करवाए जाने चाहिए ताकि किसी पार्टी को बहुमत मिले और वह सुचारू रूप से काम कर सके । नेता जी भूल गए कि इस तरह से लोकतंत्र की हत्या होती है व यह गलत है । इसके साथ साथ यह भी सोचना चाहिए कि चुनाव में सरकार व उम्मीदवारों का करोड़ों रुपये खर्च होता है, विकास कार्य रुक जाते हैं ।
सूचना का अधिकार अधिनियम व सामाजिक कार्यकर्ता जसपाल सिंह ने कहा कि देश के चुने हुए जन प्रतिनिधियों ने पंजाब नगर निगम अधिनियम 1976 सोच समझ कर तैयार किया था । इस अधिनियम का विस्तारित प्रारूप 1994 दौरान लागू कर चण्डीगढ़ नगर निगम संचालन के लिए दिया गया था । इस के अनुसार नौ पार्षदों को प्रशासन द्वारा नॉमिनेट किया जाता रहा है ।
अलग अलग पार्टियों के पार्षद पार्टीबाजी राजनीति के कारण एक दूसरे का विरोध करते हैं । इसके विपरित नॉमिनेटिड पार्षदों को एक निष्पक्ष भूमिका में ही समझा जाता है । यह माना जाता है कि नॉमिनेटिड पार्षदों के साथ सभी पार्टियों के सम्बंध बेहतर हो सकते हैं और वह प्यार से सभी पार्षदों में तालमेल बना कर सौहार्दपूर्ण तरीके से चंडीगढ़ में विकास के लिए भूमिका निभा सकते हैं ।
जसपाल सिंह ने कहा कि अगर चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों व प्रशासक के मन में कानून व्यवस्था व संविधान के लिए आदर भाव है तो तुरंत कानूनी प्रक्रिया के अनुसार नौ 9 पार्षदों को नियुक्त करने के लिए नोटिफिकेशन जारी करे । कानून के अंतर्गत सोचना चाहिए कि अगर चुने गए पार्षदों के लिए का कार्यकाल 01.01.22 से 31.12.26 है तो क्या नॉमिनेटिड पार्षदों के लिए कार्यकाल भिन्न भिन्न है ?? अगर अधिकारी कानून व संविधान के प्रावधानों को नजरअंदाज करते रहे तो जनता में यह संदेश जाएगा कि सरकार संविधान को मात्र इसलिए बदलने के बारे सोच रही है कि इसकी रचना के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम जुड़ा हुआ है । जंगलराज की धारणा या अफवाह सरकार के लिए लाभदायक सिद्ध नहीं हो सकती ।
मोदी जी की सरकार व गृह मंत्रालय से निवेदन है कि उन्हें भी निर्देश जारी करने चाहिए कि इस आशय हेतु जो आवेदन वर्तमान नगर निगम चुनाव से पहले मिले हैं और जिनकी छानबीन प्रशासन ने पुलिस या अन्य माध्यमों से वर्तमान नगर निगम कार्यकाल शुरू होने से पहले ही करवा ली है उन्हीं में से 9 नौ पार्षदों को नियुक्त करने के लिए तुरंत नोटिफिकेशन जारी की जाए । यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस दौरान कोई गैरकानूनी तरीके न अपनाए जाएँ व सभी वर्गों , विशेष तौर पर पत्रकार वर्ग को भी प्रतिनिधित्व मिले।

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