सिर्फ योगी आदित्यनाथ ही नहीं, बल्कि ईरान भी नहीं मानता है सिकंदर को महान, जानिए क्यों

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भारत में इन दिनों सिकंदर महान था या नहीं, इसपर बहस चल रहा है और इस बहस में कई नेता और विद्वान शामिल हैं।

नई दिल्ली, नवंबर 15: भारत में इन दिनों सिकंदर महान था या नहीं, इसपर बहस चल रहा है और इस बहस में कई नेता और विद्वान शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि भारत के महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर को हराया था, बावजूद इसके चंद्रगुप्त को महान नहीं कहा गया, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ के बयान पर बवाल मच गया है।

लेकिन, क्या आप जानते हैं, सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि ईरान में भी सिकंदर को महान नहीं माना जाता है। आखिर ईरान सिकंदर के बारे में क्या सोचता है, आईये जानते हैं

सिकंदर पर भारत में राजनीतिक बवाल

यूनान के शासक सिकंदर, जिसका असली नाम एलेक्जेंडर था, उसकी भारत के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के साथ लड़ाई हुई थी या नहीं, इसको लेकर इतिहासकारों के अलग अलग मत हैं। लेकिन, सेल्यूकस से चंद्रगुप्त की लड़ाई को लेकर इतिहास मौजूद है। इतिहास के किताबों में लिखा गया है कि, यूनानी आक्रमणकारियों के साथ चंद्रगुप्त मौर्य की लड़ाई हुई थी, लेकिन कुछ इतिहासकारों का कहना है कि, खुद सिकंदर उस लड़ाई में मौजूद नहीं था, बल्कि उसकी जगह पर उसका सेनापति सेल्यूकस लड़ने आया था, लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य से सिकंदर हार गया था और फिर सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त मौर्य को अपनी बेटी से शादी करने का प्रस्ताव दिया था।

सेल्युकस पर विद्वानों का मत

इतिहासकारों ने लिखा है कि सेल्युकस को सिकंजदर ने बेबिलोनिया का राज दे दिया था और सेल्युकस ने बाद में अपने राज्य का विस्तार करने के लिए भारत पर आक्रमण किया था, जहां वो चंद्रगुप्त मौर्य के हाथों हार गया था। इतिहास में दर्ज बातों के मुताबिक, सिकंदर का जन्म 356 ईसा पूर्व में हुआ था और उसने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए 326 ईसापूर्व में सिंधु राजा पोरस के राज पर आक्रमण किया था, जो आप पाकिस्तान में है। इतिहासकारों का कहना है कि, जब पोरस की सिकंदर से लड़ाई हुई थी, उस वक्त चंद्रगुप्त मौर्य सिर्फ 14 साल के थे, लिहाजा इस बात की उम्मीद ना के बराबर है, कि सिकंदर की चंद्रगुप्त से लड़ाई हुई होगी। हालांकि, इतिहास की कई किताबों में ये लिखा है कि, जिन भूभाग पर सिकंदर का कब्जा हुआ था, उन्हें मुक्त करवाने के लिए चंद्रगुप्त मौर्य ने अभियान छेड़ा था और इसी क्रम में सिंधु में सेल्युकस की उनसे लड़ाई हुई थी।

सिकंदर को महान नहीं मानता ईरान

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीक-प्रभावित पश्चिमी इतिहास की किताबों में सिकंदर महान को एक महान विजेता और सैन्य नेता के रूप में चित्रित किया जाता है, लेकिन उनकी विरासत फारसी इतिहास में बहुत अलग कर बताया गया है। प्राचीन ईरान की राजधानी, जिसका नाम पर्सेपोलिस था, जब कोई सैलानी उन खंडहरों को देखने जाता है, तो उन सैलानियों को तीन बातें प्रमुख तौर पर बताई जाती है और वो बातें ये हैं कि, इसे डेरियस मबान ने बनाया था, राजधानी को डेरियस के बेटे जेरक्सस ने विस्तार दिया था और ‘उस इंसान’ ने इस राजधानी को तबाह कर दिया था। ‘उस इंसान’ से उनका मतलब सिकंदर होता है। ईरान में कहा जाता है, कि पश्चिम में सिकंदर को महान कहा जाता है, जिसने ईरानी साम्राज्य को जीता था, जिसमे ईरान को तबाह किया।

सिकंदर ने लिया था ईरान से बदला?

कुछ पश्चिमी देशों के इतिहासकारों ने सिकंदर पर जो किताबें लिखी हैं, उसे बढ़ने के बाद वास्तव में यही महसूस होता है कि, ईरान इसीलिए बना ही था, कि सिकंदर आएं और उसपर आक्रमण करें और उसपर कब्जा कर ले। जबकि, रिसर्च करने वालों का कहना है कि, सिकंदर से पहले भी ईरान को दो बार यूनान पराजित कर चुका था। ईसापूर्व 490 में डेरियस द ग्रेट और ईसापूर्व 480 में डेरियस के बेटे जेरक्सेस को यूनानी दो बार हरा चुके थे, क्योंकि इन दोनों ने यूनान पर आक्रमण किया था और यूनान को जीतने की कोशिश की थी, और उसी का बदला लेने के लिए सिकंदर ने ईरान पर हमला किया था।

फारसियों की नजर में सिकंदर

लेकिन फारसी की नजर से देखा जाए तो सिकंदर “महान” से कोसों दूर है। उसने एक रात तवायफ के बहकावे में आकर नशे में चूर होकर ईरान की राजधानी पर्सेपोलिस को धराशायी कर दिया और इसके पीछे बदला लेना का तर्क दिया। इतिहासकारों का कहना है कि, ईरानी शासक जेरक्सस ने जब यूनान पर हमला किया था, तो उसने एक्रोपोसिल शहर को जला दिया था और उसी का प्रतिशोध लेने के लिए सिकंदर ने ईरानी राजधानी को नेस्तनाबूद कर दिया था। ईरानियों का कहना है कि, सिकंदर ने ना सिर्फ राजधानी को तबाह किया, बल्कि ईरान की संस्कृति और सांस्कृतिक स्थलों को भी तबाह करने की कोशिश की। आपको बता दें कि, ईरान में इस वक्त पारसी धर्म था, जिसके प्रमुख स्थलों को सिकंदर ने तोड़ दिया था।

समाज को सुधारने के लिए हमला?

हालांकि, पश्चिम के इतिहासकारों ने, जो ये दावा करते हैं कि उनका स्रोत ग्रीक भाषा और संस्कृति है, उनका कहना है कि, उन दिनों पूर्वी क्षेत्र का समाज बर्बर था और सिकंदर का अभियान उनके खिलाफ था और सिकंदर ने उन्हें सभ्य बनाया। लेकिन, कई इतिहासकारों का कहना है कि, ये थ्योरी गलत है और ईरानी साम्राज्य उस वक्त ना सिर्फ काफी प्रभावशाली था, बल्कि विश्व के महानतम साम्राज्यों में से एक था और ईरान का साम्राज्य मध्य एशिया से लीबिया तक फैला हुआ था और सिकंदर के लिए ईरान किसी बेशकीमती खजाने से कम नहीं था। हालांकि, इतिहास में इस बात के भी प्रमाण मिलते हैं कि, यूनानियों ने ईरान के शासन व्यवस्था की तारीफ की है और इतिहासकारों का मानना है कि, ईरान की प्रशंसा वाली कहानियों की जानकारी सिकंदर को भी रही होगी।

ईरानी करते थे सिकंदर का सम्मान?

ईरान के लोग भले ही सिकंदर को क्रूर, वहशी योद्धा कहते थे, लेकिन प्राप्त इतिहासों से ये भी पता चलता है कि ईरान में सिकंदर का सम्मान भी किया जाता था। कुछ ईरानी इतिहास में इस बात का जिक्र किया गया है कि ईरान की राजधानी पर्सेपोलिस की बर्बादी देखने के बाद सिकंदर को काफी दुख हुआ था, वहीं मकबरों की मरम्मत के आदेश सिकंदर द्वारा दिए गये थ। एथेनियन जनरल और लेखक जेनोफॉन ने साइरस द ग्रेट में सिकंदर की प्रशंसा की है और लिखा है कि, “सिकंदर ने अपने व्यक्तित्व से ईरान को भयानक आतंक से मुक्ति दिलाई थी, जिसकी वजह से ईरान के निवासियों ने उनके सामने साष्टांग प्रणाम किया था”।

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