स्टील स्लैग से बनी एनएच 33 की 44 किमी सड़क का प्रधानमंत्री मोदी करेंगे उद्घाटन

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जमशेदपुर: टाटा-रांची को जोड़नेवाली एनएच 33 के बीच बन रहे 44.2 किमी सड़क का निर्माण टाटा स्टील के बाय प्रोडक्ट टाटा एग्रेटो यानी स्लैग से किया गया है.

इस इको फ्रेंडली सड़क का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को देवघर से ऑनलाइन करेंगे. यह देश की पहली ऐसी सड़क है, जो स्लैग से बनी है. ऐसा कर टाटा स्टील ने सड़क निर्माण में बेंचमार्क स्थापित किया है.

स्लैग अब मुनाफा देगा: इससे पहले स्लैग स्टील निर्माता कंपनियों के लिए बड़ी समस्या होती थी और उसके निष्पादन के लिए करोड़ों खर्च करने के बाद भी पर्यावरण को नुकसान होता था. लेकिन अब वह मुनाफा देने का माध्यम बन रहा है. साथ ही इससे पर्यावरण की रक्षा भी हो रही है. इसके उपयोग से स्टोन का उपयोग नहीं होगा और गिट्टी की उपलब्धता खत्म होने से पत्थर का खनन भी रुकेगा.

परियोजना कार्यान्वयन इकाई (PIU): 44.2 किमी के हिस्से का निर्माण जमशेदपुर एनएचएआइ , कॉन्ट्रैक्टर आयरन टाएंगल लिमिटेड और केके बिल्डर संयुक्त रूप से कर रहे हैं. सहरबेरा-जमशेदपुर-महुलिया तक के निर्माण में एक मिलियन टन से अधिक स्लैग आधारित एग्रिगेट्स का उपयोग किया गया है. सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से अनुमति के बाद एनएचएआइ और सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) द्वारा प्रोसेस्ड एलडी स्लैग एग्रीगेट्स का उपयोग 2019 में स्थापित किया गया था.

स्टील का बाय प्रोडक्ट है स्लैग: स्लैग वास्तव में अयस्क को पिघलाने के बाद निकलनेवाला एक बाय प्रोडक्ट है. स्टील के स्लैग का प्रयोग करने से रोड की मोटाई 30% घटाने में भी सफलता मिली है. यह सड़क परंपरागत रोड से अधिक मजबूत होती है. स्टील स्लैग से पर्यावरण की सुरक्षा दोतरफा होगी. स्लैग की गर्मी से मैदानी क्षेत्र व खाली पड़ी जमीन का बड़ा हिस्सा भी प्रभावित होता था. जिस जमीन पर गिराया जाता है, उससे आसपास के पेड़ पौधों को भी नुकसान पहुंचता है. स्लैग की कीमत स्टोन से कम होने के कारण कंपनियों को मुनाफा मिलेगा.

सूरत में पहली बार बनी स्टील की सड़क: डायमंड सिटी के नाम से मशहूर सूरत स्टील रोड के मामले में पहले नंबर पर है. सूरत में आर्सेलर मित्तल निप्पोन स्टील इंडिया ने सीएसआइआर के साथ मिलकर इसी साल की शुरुआत में स्टील के कचरे से एक सड़क बनायी थी.

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