प्रदूषण से हवा में घुला ‘जहर’ : हरियाणा सरकार ने दिए एनसीआर के 4 जिलों के स्कूल बंद करने के आदेश

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दिल्ली-एनसीआर में जारी प्रदूषण के बीच हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को खराब वायु गुणवत्ता के मद्देनजर गुरुग्राम और फरीदाबाद समेत एनसीआर के 4 जिलों के सभी स्कूलों को अगले आदेश तक बंद करने का फैसला लिया है।

हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर दिल्ली से सटे अपने चार जिलों के सभी स्कूलों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है। सरकार ने नलसाजी, आंतरिक सजावट, बिजली के काम और बढ़ईगीरी जैसी गैर-प्रदूषणकारी गतिविधियों को छोड़कर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सभी निर्माण गतिविधियों पर भी रोक लगाने का आदेश दिया है।

राज्य के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती हवा की गुणवत्ता को देखते हुए दिल्ली से सटे हरियाणा के चार एनसीआर जिलों यानी गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर के सभी स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे। दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण गुरुवार को ही राजधानी के सभी स्कूलों को अगले आदेश तक बंद करने की घोषणा की थी।

हरियाणा सरकार के दो दिसंबर के आदेश के अनुसार, सभी निर्माण गतिविधियों पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, सिवाय नलसाजी कार्यों, आंतरिक सजावट, बिजली के काम और बढ़ईगीरी जैसी गैर-प्रदूषणकारी गतिविधियों और उन गतिविधियों के, जिनकी विशेष रूप से एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से अनुमति है और इसे अगले आदेश तक हरियाणा के सभी 14 एनसीआर जिलों में सख्ती से लागू किया जाएगा।

इसके अलावा, हरियाणा के 14 एनसीआर जिलों में मौसम की स्थिति (वायु गुणवत्ता) में सुधार होने तक सभी डीजल जनरेटर (डीजी) सेटों के संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। हालांकि, सीएक्यूएम से मिली अनुमति के तहत आपातकालीन उद्देश्यों के लिये इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा। उसने कहा कि बिजली विभाग हरियाणा के एनसीआर जिलों में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक और तत्काल कदम उठाएगा ताकि किसी भी उपभोक्ता द्वारा डीजल जनरेटर के उपयोग से बचा जा सके, यहां तक कि आपात स्थिति में भी।” साथ ही कहा कि इन निर्देशों को सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों द्वारा सख्ती से लागू किया जाएगा।

एनसीआर में आने वाले हरियाणा के 14 जिलों में गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, रोहतक, झज्जर, सोनीपत, करनाल, रेवाड़ी, पानीपत, भिवानी, चरखी दादरी, जींद, महेंद्रगढ़ और नूंह शामिल हैं। इससे पहले, अधिकारियों ने खराब वायु गुणवत्ता के कारण गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में 14 से 17 नवंबर तक स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया था।

गुरुग्राम में 309 तो फरीदाबाद 289 रहा एक्यूआई

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शुक्रवार को सुबह नौ बजे 358 रहा। पड़ोसी एनसीआर शहरों फरीदाबाद (289) और ग्रेटर नोएडा (250) में वायु गुणवत्ता शुक्रवार को सुबह ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। गाजियाबाद में (331), गुरुग्राम में (309) और नोएडा (315) में एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा। दिल्ली में गुरुवार को 24 घंटे का एक्यूआई 429 रहा।

उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 से 100 के बीच एक्यूआई ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’, और 401 से 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।

प्रदूषण पर केंद्र का टास्क फोर्स गठन सुप्रीम कोर्ट को मंजूर

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रदूषण स्तर कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित इंफोर्समेंट टास्क फोर्स के गठन को शुक्रवार को मंजूर कर लिया। चीफ जस्टिस एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि प्रदूषण रोकने के उपायों को कड़ाई से लागू करने के सरकार के शपथ पत्र का उन्होंने अध्ययन किया है और उम्मीद है कि उसके मुताबिक कार्रवाई में किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण कम करने के उपायों को तत्काल लागू करने के लिए केंद्र की ओर से पांच सदस्यीय इंफोर्समेंट टास्क फोर्स के गठन की जानकारी के साथ ही 40 फ्लाइंग स्क्वायड शीघ्र बनाने के प्रस्ताव को मंजूर करते हुए आज संबंधित सरकारों को पिछले अदालती आदेशों एवं निर्देशों को सख्ती से लागू करने करने को कहा है।

कोर्ट ने कोविड-19 के मद्देनजर दिल्ली सरकार के अस्पताल भवन निर्माण से संबंधित लंबित कार्यों को पूरा करने की अनुमति दे दी। अदालती आदेश पर भवन निर्माण संबंधी कार्यों पर रोक लगी है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए बेंच द्वारा दो दिसंबर और उससे पहले दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी।

केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि प्रदूषण कम करने के लिए वह गंभीर है। अदालत के 02 दिसंबर के निर्देशों के मद्देनजर पांच सदस्यों की एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इसके अलावा प्रदूषण रोकने के तमाम ऐतिहासिक उपायों को सख्ती से लागू कराने के लिए 40 उड़न दस्ते बनाए जाएंगे, जिनमें से 17 अगले 24 घंटे में गठित कर दिए जाएंगे। उड़न दस्ते अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रतिदिन वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित आयोग को देंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों को फटकार लगाई थी और चेतावनी देते हुए उन्हें कहा था कि 24 घंटे में कोई ठोस उपाय किए जाएं, अन्यथा कोर्ट इस पर आज कोई कठोर आदेश पारित करेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के चीनी और दुग्ध उद्योगों को प्रदूषण के मद्देनजर औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के आदेश से छूट की गुजारिश सुप्रीम कोर्ट से की। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें (उत्तर प्रदेश सरकार) इस मामले में प्रदूषण के मामले में गठित कमीशन के पास अपनी बात रखनी चाहिए।

चीफ जस्टिस ने मीडिया के एक वर्ग में अदालत से जुड़ी खबरों के प्रति असावधानी को गंभीर बताते हुए संबंधित पक्षों को इस पर गौर करने की नसीहत दी। बेंच ने दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कोविड-19 प्रकोप के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर दिल्ली सरकार के अस्पताल भवन के लंबित कार्यों के निर्माण की छूट देने की अर्जी स्वीकार कर ली और कहा कि प्रदूषण रोकने के सभी एहतियाती उपाय किए जाएं।

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता 17 वर्षीय छात्र आदित्य दुबे का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने केंद्र द्वारा टास्क फोर्स और उड़न दस्तों के गठन से प्रदूषण कम करने के उपायों को लागू करने पर संदेश व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पहले भी कुछ इसी तरीके के प्रयास किए गए थे जिसके परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं।

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