
देहरादून 20 नवम्बर (नवीन चन्द्र पोखरियाल)
उत्तराखंड में अब चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं तो राजनीतिक दलों की सक्रियता में एकाएक बाढ़ सी आ गई है।
ताजा घटनाचक्र पूर्व केंद्रीय मंत्री,पूर्व मुख्यमंत्री और विकास पुरुष के नाम से मशहूर पंडित नारायण दत्त तिवारी की विरासत को लेकर है। राज्य कू दोनों ही प्रमुख दलों के अपने अपने दावे हैं। लेकिन इस मामले में अभी तक बीजेपी कांग्रेस से आगे चल रही है। जबकि एनडी तिवारी का कभी बीजेपी से कोई नाता नहीं रहा।
उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में लगातार जंग जारी है। चुनाव में जीत को लेकर दोनों ही दल अपने-अपने दावे कर रहे हैं। वहीं अब राज्य में पूर्व केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे दिवंगत नारायण दत्त तिवारी के विरासत को लेकर भी दोनों दल अब आमने सामने आ गये हैं।
राज्य में कांग्रेस की सरकार में विकास पुरुष एनडी तिवारी को भुला दिया था। लेकिन राज्य की बीजेपी सरकार ने जैसे ही एनडी तिवारी पर दांव खेला तो कांग्रेस भी एक्टिव हो गई। अब उत्तराखंड में कांग्रेस एनडी तिवारी के जरिए उनके वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है।
दरअसल, एनडी तिवारी की विरासत को लेकर दोनों ही दलों के अपने अपने दावे हैं। लेकिन इस मामले में अभी तक बीजेपी कांग्रेस से आगे है।
राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने सिडकुल का नाम एनडी तिवारी के नाम पर करने का फैसला किया है। जबकि मरणोपरांत उन्हें ‘उत्तराखंड गौरवसम्मान-2021’ भी दिया। जबकि पिछले दो दशक में कांग्रेस की तीन बार सरकार रही और इसमें एक बार खुद एनडी तिवारी मुख्यमंत्री रहे। वहीं राज्य में हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए एनडी तिवारी की कोई सुध नहीं ली गई। क्योंकि हरीश रावत और एनडी तिवारी के बीच छत्तीस का आंकड़ा था। लेकिन बीजेपी द्वारा इस मामले में बढ़त बनाने के बाद अब कांग्रेस भी उसी राह पर चल पड़ी है।
एनडी तिवारी की लोकप्रियता को भुनाने को धुर विरोधी हरीश रावत हुए एक्टिव हो गए हैं। फिलहाल चुनावी साल में बीजेपी सरकार अपनी राजनीतिक विरासत को भुनाना शुरू कर दिया। पिछले कुछ ही महीने में बीजेपी ने उनके नाम पर दो बड़ी घोषणाएं भी की है और इसको देखकर कांग्रेस भी एक्टिव हो गई और अब एनडी तिवारी को याद कर रही है। वहीं कांग्रेस नेताओं एनडी तिवारी के गांव पहुंचकर एक कार्यक्रम आयोजित किया और वहां पर लोगों से मुलाकात की। दूसरी ओर कांग्रेस उन्हें भूल गई थी। जबकि पिछले महीने ही 18 अक्टूबर को उनके जन्मदिन पर हल्द्वानी में कांग्रेस ने एक बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया और इसमें कई नेताओं को सम्मानित किया गया। फिलहाल एनडी तिवारी की लोकप्रयिता को भुनाने में उनके धुर विरोधी रहे राज्य के पूर्व सीएम हरीश रावत भी पीछे नहीं है। पिछले दिनों ही हरीश रावत ने पदमपुरी स्थित उनके पैतृक गांव में पहुंचकर उनके परिजनों को सम्मानित किया।
असल में बीजेपी एनडी तिवारी की विरासत को लेकर पहले से ही दावे रही है। बीजेपी का कहना है कि एनडी तिवारी को कांग्रेस के नेता के तौर पर देखना गलत है, क्योंकि वह राज्य के नेता थे और उन्हें पार्टी की राजनीति में बांधा नहीं जा सकता है। असल में एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सीएम और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल होने के साथ-साथ केंद्र में मंत्री भी रहे थे। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों एनडी तिवारी के जन्मदिन के मौके पर रुद्रपुर स्थित सिडकुल का नाम उनके नाम पर रखने का ऐलान किया जबकि पिछले दिनों ही काठगोदाम के पास स्थित एनडी के ननिहाल बलूटी गांव को भी सड़क से जोड़ा गया है।