
नई दिल्ली 5 नवम्बर (नवीन चन्द्र पोखरियाल)
कोवैक्सिन के आपात इस्तेमाल को डब्लूएचओ की मंजूरी मिलने पर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह हमारे देश के लिए गर्व का क्षण है। हमें मेड इन इंडिया वैक्सीन के लिए मंजूरी मिल गई है। पहले भारत एक वैक्सीन निर्माण केंद्र था, लेकिन पिछले 18 महीनों में हमने दिखाया है कि हम बहुत उच्च गुणवत्ता वाले शोध भी कर सकते हैं।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हमने एक अध्ययन में देखा कि जब भी प्रदूषण का स्तर ज़्यादा होता है तो उसके कुछ दिन बाद बच्चों और वयस्कों में सांस की समस्या की इमरजेंसी विजिट बढ़ जाती हैं। ये तय है कि प्रदूषण से सांस की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही कहा कि हर साल दिवाली और सर्दियों के समय उत्तरी भारत में पराली जलाने, पटाखों, दूसरी वजहों से दिल्ली और पूरे इंडो गैंजेटिक बेल्ट में स्मॉग होता है और कई दिनों तक विजिबिलिटी बहुत खराब रहती है। इसका सांस के स्वास्थ्य पर बहुत असर होता है।
एम्स के निदेशक ने आगे कहा कि ये भी डाटा आ रहा है कि हर साल वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों पर इसका लंबी अवधि में भी असर होता है, इससे उनके फेफड़ों के विकास पर भी असर होता है और उनके फेफड़ों की क्षमता कुछ हद तक कम होती है। प्रदूषण का श्वसन स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से फेफड़ों के रोगों, अस्थमा के लोगों पर, क्योंकि उनकी बीमारी बिगड़ जाती है। प्रदूषण से कोविड के और भी गंभीर मामले सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मास्क पहनना चाहिए, क्योंकि ये कोविड और प्रदूषण दोनों से सुरक्षा में मदद करेगा।
आपको बता दें कि शुक्रवार, 5 नवम्बर को देश में कोविड-19 के 12,729 नए मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले 24 घंटों के दौरान 221 मरीजों की मौत हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोरोनावायरस के एक्टिव मरीज अब घटकर 1.48 लाख रह गए हैं। मंत्रालय ने जानकारी दी है कि पिछले 24 घंटों में देशभर में संक्रमण से 12,165 लोग ठीक भी हुए हैं, जिसके बाद कोरोना से अब तक ठीक होने वालों की संख्या 3,37,24,959 हो गई है।