Punjab Assembly Elections 2022: किसान आंदोलन ने बदल दिए सारे सियासी समीकरण, उलझी तस्वीर

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विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन से पंजाब की सियासत में आए भूचाल ने सारे समीकरणों को ध्वस्त कर दिया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस नए चेहरे के साथ चुनाव मैदान में है तो बीते चुनाव में उसे चमत्कारिक जीत दिलाने वाले कैप्टन अमरिंदर ने भाजपा और सुखदेव सिंह ढींढसा के साथ तीसरा मोर्चा बना लिया है।

राजग का साथ छोड़ने वाला अकाली दल इस बार बसपा के साथ चुनाव मैदान में है तो आम आदमी पार्टी भगवंत मान को सीएम पद का चेहरा बनाने पर विचार कर रही है।

सवाल है कि इस बार राज्य में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा? जाहिर तौर पर राज्य में जीत की चाबी किसानों और खासतौर पर सिख बिरादरी के पास है। इस बिरादरी को साधने के लिए सभी दलों ने अपने अपने हिसाब से रणनीति बनाई है। भाजपा को उम्मीद है कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद कैप्टन अमरिंदर और ढींढसा के साथ तैयार किया गया तीसरा मोर्चा किंग मेकर की भूमिका अदा सकता है।

दलित वोटों पर महाभारत
सबकी निगाहें करीब 32 फीसदी दलित वोटरों पर है। इसी वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने इस बिरादरी के चरणजीत सिंह चन्नी को अचानक मुख्यमंत्री बनाया। अकाली दल ने इसी वोट बैंक के लिए बसपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया है। राज्य में करीब 39 फीसदी अन्य हिंदू मतदाता भी हैं। भाजपा की निगाहें मुख्य रूप से इन्हीं मतदाताओं पर टिकी हैं।

समानांतर ध्रुवीकरण की कोशिश में भाजपा
भाजपा की रणनीति राज्य में सिख मतदाताओं के समानांतर हिंदू मतदाओं का ध्रुवीकरण कराने की है। भाजपा ऐसा ही प्रयोग उत्तर प्रदेश, असम जैसे राज्यों में कर चुकी है। पार्टी को इन राज्यों में अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ बहुसंख्यकों का समानांतर ध्रुवीकरण कराने में सफलता मिली थी। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर करीब 58 फीसदी सिखों के खिलाफ हिंदुओं का समानांतर ध्रुवीकरण हुआ तो पंजाब की सियासत में बड़ा बदलाव आ सकता है।

ऊहापोह में कांग्रेस
राज्य में सत्ता बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने अमरिंदर के विरोधी नवजोत सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। फिर कैप्टन को हटा कर सरकार की कमान चन्नी को दे दी। फिर भी अंतर्विरोध नहीं थमा। कैप्टन की निगाहें भी कांग्रेस के अंतर्विरोध पर हैं।

आप-अकाली दल की मुश्किलें
बीते चुनाव में आप मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी थी। अकाली दल को तीसरे स्थान पर खिसकना पड़ा था। आप के सामने मुश्किल चेहरे की है। अकाली दल के सामने चुनौती नाराज किसान हैं। किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए अकाली दल ने राजग से दूरी बनाई, पर नाराजगी दूर नहीं हो पाई।

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