आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने गिनाए यूसीसी के फायदे,विरोध करने वालों पर भी बोला हमला,कहा-शादी,अंतिम संस्कार के लिए सभी धर्मो को आज़ादी, जातीय भेदभाव भी होगा खत्म

चंडीगढ (आज़ाद वार्ता)
समान नागरिक कानून (यूसीसी) को लेकर देश में इन दिनों काफी चर्चाएं हो रही हैं। कई राजनीतिक दलों ने कानून की खामियां बताते हुए इसको लागू करने पर विरोध जताया है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने यूसीसी के फायदे हुए गिनाते कहा कि इसके लागू होने से जातीय छुआछूत और भेदभाद खत्म हो जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने लोगों से कानून का विरोध करने वालों की बातों में नहीं आने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि इस कानून का समर्थन अधिक है और विरोध कम है। समान नागरिक संहिता का मतलब है, मजहबी दंगों से मुक्ती। इसका मतलब है मजहब से मजहब की बुराई ना करना। इसका मतलब है दूसरे मजहब की इज्जत करना। इसका मतलब है मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना। इस कानून का मतलब है कि मजहब ही सिखाता है आपस में प्यार करना। इस कानून का मतलब है कि जातीय छुआछूत समाप्ति। इसका मतलब है कि हम एक वतन, एक जन, एक नागरिक हैं। यह छुआछूत से मुक्ती रास्ता है। इंद्रेश कुमार ने कहा, “इसी के साथ-साथ जो दुखी है, पीड़ित है, कमजोर है, निर्बल है उसकी मदद के रास्ते खुलते हैं। यह कानून है, जो महिलाओं पर होने वाले जुल्मों को खत्म करता है। किसी भी धर्म और जाति में औरतों पर कोई जुल्म नहीं हो सकेगा।”
इंद्रेश कुमार ने कहा कि यूसीसी के तहत सभी को अपने-अपने धर्मों पर चलने की आजादी होगी। अंतिम संस्कार और शादी को लेकर भी पूरी आजादी रहेगी। उन्होंने कहा, “किसी को दफनाना है वो दफना सकेगा। जिसको बहाना है वो बहा सकेगा। इसके लिए कोई प्रतिबंध नहीं। इसी तरह जिसको अपने बच्चे का शादी निकाह करना है, जिसको गुरुद्वारे में शादी करनी है वो वहां कर सकेगा। जिसको कोर्ट में शादी करनी है वो कोर्ट में शादी कर सकेगा। इसलिए सबको अपने-अपने ढंग से पूरी आजादी दी गई।”
उन्होंने कहा कि ऐसे ही तीज-त्योहार मनाने के लिए आजादी रहेगी। जिसको नमाज अदा करनी है वो नमाज अदा कर सकेगा। चाहे एक समय करे, चाहे 5 समय करे। जिसको प्रार्थनाएं करनी हैं को वो अलग-अलग प्रकार के मंदिर हैं, राधा स्वामी हैं कि निरंकारी हैं। ब्रह्मकुमारीज हैं कि कबीरपंथी हैं और गुरुद्वारे जाता है कि जैन स्थानन, जैन मंदिर जाता है या किसी और स्थान जाता है। तो अपने-अपने ढंग से जिस भी ईष्ट को मानता है, इबादत करता है, समान नागरिक घोषिक करेगा कि कोई काफिर नहीं है सभी बिलीवर हैं इसलिए किसी को भी काफिर कहने का अधिकार नहीं। सभी के बिलीफ अपनी-अपनी तरह के हैं।
इंद्रेश कुमार ने आगे कहा कि यह कानून सुख और दुख में एकता पैदा करेगा। कोई यूनियन बनानी है तो एक कानून चाहिए। कोई दुर्घटना हो गई है तो मुआवजा मिल रहा है तो एक कानून चाहिए इसलिए यह कानून, एकता, मोहब्बत, भाईचारे का पैगाम और रास्ता है। इसके साथ ही उन्होंने यूसीसी का विरोध करने वालों को लेकर कहा कि जो ये कहते हैं कि मुसलमान को खतरा है वो झूठ बोलते हैं, जबकि खुद अल्लाह ने, खुदा ने, रब ने यह पैगाम दिया है, तू जिस वतन का होगा उस वतन के कायदे कानून के अनुसार जी यही तेरा इमान है और यही ईमान तुझे जन्नत की ओर ले जाएगा इसलिए मालिक ने पैगाम भेजा। वतन की मोहब्बत, इफाजत, कुर्बानी ये ईमान का रास्ता है, जो जन्नती है।
इस दौरान, उन्होंने गोवा के कॉमन यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र करते हुए कहा कि आज तक 75 सालों में कानून की वजह से वहां कोई दिक्कत नहीं आई है। किसी मुसलमान या ईसाई या हिंदू ने शिकायत नहीं की है। उन्होंने आगे कहा, “इस देश के अंदर कहीं पर और लोकमान्य तिलक, बाला साहेब अंबेडकर, बापू गांधी, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस ने भी एक कानून की वकालत की थी। सुप्रीम कोर्ट, संविधान ने भी एक कानून की वकालत की। लेकिन हमेशा एक मजहब और जाति में बांटकर एक कानून की धज्जियां उड़ाने की कोशिश की गई। अगर हो जाते तो शाहबानो को भी जस्टिस मिल जाता, जिसे 75 और 80 पैसे मुआवजा मिलना था, वो भी ना देकर नारी पर जुल्म का इतिहास रचा तो इसलिए मजहबों के अंदर जो महिलाओं का अपमान है उससे बचेंगे और कुरुतियां दूर होंगी। सभी धर्म आपस में मिल-जुलकर फलेंगे-फूलेंगे। सभी जातियां भी मिल-जुलकर रहेंगी, कोई अछूत नहीं कहलाएगा, कोई काफिर नहीं रह पाएगा।”
इंद्रेश कुमार ने आगे अपील करते हुए कहा कि जो नेता , पार्टियां या मौलाना, इमाम, मौलवी भड़का रहे हैं मुसलमानों को विशेष रूप से वे भड़काना बंद करें और मुलमान उनके भड़कावे में नहीं आएं, बल्कि उनसे पूछें कि जो संस्थाएं इतनी बढ़-बढ़ कर बातें कर रही हैं, बताओ उन्होंने हिंदुस्तान के हित में कौन सा काम किया है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जो ये सब कर रहे हैं उन्होंने गरीबों और पीड़ितों के लिए कितने शिक्षा संस्थान या बेरोजगारों के लिए कुछ किया है। जो कुछ कमियां आ गई हैं मुसलमानों में, उनसे मुक्त करने के लिए मुसलमान एक संजीदा हिंदुस्तानी नागरिक बनें तो क्या किया। आज तलाक से पीड़ित इतनी औरते हैं और उनकी और बच्चों की बेहतर जिंदगी के लिए उन्होंने क्या किया है।