स्वच्छ सर्वेक्षण 2022:नगर निगम चण्डीगढ़ द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के अंतर्गत क्षमता निर्माण वर्कशॉप का आयोजन

चण्डीगढ़, 27 नवंबर(केवल भारती)
नगर निगम चण्डीगढ़ द्वारा आज रानी लक्ष्मी बाई महिला भवन, सैक्टर 38 में स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के अंतर्गत एक क्षमता निर्माण वर्कशॉप का आयोजन किया गया, यह वर्कशॉप प्रोहिबिशन ऑफ एम्प्लॉयमैंट एज मैनुअल सकावेंजर्स एंड देयर रीहैबीलिटेशन एक्ट 2013, व्यवसाय प्रमुख स्वास्थ्य और सुरक्षा; सैक्शुअल हेरासमैंट ऑफ वुमैन एट वर्कप्लेस, प्रीवैंशन, प्रोहिबिशन एंड रीड्रैसल एक्ट 2013, आपदा प्रबंधन और महामारी जागरूकता विषयों पर करवाई गई।

पेशेवर वक्ताओं एच.एस.ई. प्रकाश कंसलटैंसी, पंचकुला से गौरव कालिया और डॉ. कनू शर्मा, एडवोकेट पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट चण्डीगढ़ और सचिव, अर्जुन फाऊंडेशन (एन.जी.ओ.) ने उपरोक्त प्रोग्रामों का संचालन किया। तरल अवशेष प्रबंधन पर काम कर रहे नगर निगम चण्डीगढ़ के अधिकारियों के साथ लगभग 150 वर्करों ने क्षमता निर्माण प्रोग्राम में हिस्सा लिया।

डॉ. कनू शर्मा ने सबसे पहले भाषण दिया और सैक्शुअल हरासमेंट ऑफ वुमैन एट वर्कप्लेस, प्रिवैंशन, प्रोहिबिशन एंड रीड्रैसल एक्ट 2013 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह एक्ट 9 दिसंबर 2013 से लागू हुआ है। काम वाली जगह पर औरतों को कई तरह की परेशानियां जैसे कि शारीरिक संपर्क, सैक्शुअल फेवर की माँग या विनती, रंग सम्बन्धी सैक्स टिप्पणियाँ करना, पीछा करना आदि का और अधिक ख़तरा होता है। यह औरतों के लिए बड़ी शर्मिन्दगी का कारण बनते हैं और किसी भी कीमत इस पर रोक लगानी और मनाही होनी चाहिए। विभाग को सभी महिला कर्मचारियों का ध्यान रखना चाहिए और लिंग के आधार पर कोई भी असमानता नहीं होनी चाहिए। उनको कार्य की प्रगति और विकास में समान अवसर दिए जाने चाहिएं। उन्होंने यह भी बताया कि इस एक्ट के अंतर्गत किसी भी अधिकारी/कर्मचारी आदि द्वारा किसी भी तरह की परेशानी की स्थिति में कैसे मुकाबला करना है। उन्होंने अपने प्रोग्राम की समाप्ति के बाद वर्करों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए।
श्री गौरव ने बताया कि सीवर और सैपटिक टैंक की हाथों से सफ़ाई के लिए मज़दूरों के रोजग़ार पर मुकम्मल पाबंदी है। कर्मचारी मैनहोल की सफ़ाई के लिए अंदर नहीं जाएगा। सीवरों को मकैनिकल तरीकों से साफ़ किया जाना चाहिए, जैसे कि सीवर क्लीनिंग मशीनों आदि का प्रयोग करके। वह सीधे सीवरेज के संपर्क में नहीं आने चाहिए। उनको किटें पहननी चाहीए हैं और उनके पास सुरक्षा उपकरण होने चाहिएं। उन्होंने सीवरेज में मौजूद गैसों जैसे कि एच2एस (हाईड्रोजन सल्फाइड), मीथेन (सीएच4) आदि के बारे में भी बताया। एच2एस गैस की मौजूदगी आँखों में जलन, खाँसी या गले में खराश, साँस लेने में तकलीफ़ और फेफड़ों में तरल इक_ा होने का कारण बन सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि मैनहोल में उपरोक्त गैसों की मौजूदगी के कारण कर्मचारी कैसे बेहोश हो जाता है और फिर मर जाता है। सीवरेज सिस्टम की सफ़ाई करते समय कर्मचारी कभी भी शराब का सेवन नहीं करते। विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि सीवरेज सिस्टम की सफ़ाई करते समय सेफ्टी किटों का प्रयोग कैसे करना है और सरसों के तेल और नारियल के तेल का प्रयोग करके चमड़ी को कैसे बचा कर रखना है।
उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी आपदा या किसी महामारी की स्थिति में नागरिकों की मदद के लिए कैसे काम करना है और तैयार रहना है। हालात का प्रभावशाली ढंग से सामना करने के लिए मैनेजमेंट के पास तजुर्बेकार नेता, प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारी, उचित यातायात और लौजिस्टिक सहायता; उचित संचार अर्थात टोल फ्री नंबर, और इमरजैंसी/महामारी में काम करने के लिए दिशा-निर्देश होने चाहिएं। आपदा प्रबंधन समिति का उद्देश्य जान बचाने, स्वास्थ्य में सुधार और प्रभावित नागरिकों में विश्वास पैदा करने के लिए तुरंत सहायता प्रदान करना है।
श्री गौरव ने अक्तूबर 2021 महीने के दौरान शहर में सीवरेज नैटवर्क को बनाए रखने में बेहतरीन सेवाएं देने के लिए गौरव, परमजीत सिंह, जय गांधी और ब्रिजपाल नामक 4 वर्करों को मान्यता प्रमाण पत्र भी बाँटे।