कनाडा से भारतीय विद्यार्थियों को डिपोर्ट करने का मामला: प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा- हम छात्रों को परेशान करने के हक में नहीं

कनाडा के प्रधानमंत्री, जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में एक प्रेस वार्ता में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे छात्रों को परेशान करने के हक में नहीं हैं। इस बयान के चलते, उन्होंने भारतीय छात्रों को अपने देश से डिपोर्ट करने के मामले पर भी अपने स्थान को साफ़ किया है।
ट्रूडो ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और कहा है कि डिपोर्टेशन का निर्णय सिर्फ़ और सिर्फ़ अनुशासनशीलता के मामले में ही लिया जाता है। छात्रों को डिपोर्ट करने के फ़ैसले पर उनकी सरकार को विचार करने का अधिकार नहीं है, जब तक कि कानून और विधियां अवश्यकताओं को पूरा नहीं करती हैं।
विद्यार्थियों के डिपोर्टेशन के मामले में, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के पास सख्त नियम और दिशानिर्देश हैं, जो उनके द्वारा निरयथार्थी और न्यायसंगत तरीके से प्रबंधित होने का सुनिश्चय करते हैं। वे यह भी जोर देते हैं कि डिपोर्टेशन का निर्णय केवल अनुशासनशीलता के मामले में लिया जाए, यानी जब छात्र अपने वीज़ा के नियमों और अन्य योग्यताओं का पालन नहीं करते हैं।
ट्रूडो ने इस विवादित मामले को लेकर अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा है कि छात्रों को उनके अधिकारों का उपयोग करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए और उन्हें न्यायपूर्ण प्रक्रियाओं में सम्मिलित करना चाहिए। इससे पहले भी, उन्होंने कई बार विदेशी छात्रों के प्रति अपनी समर्पणात्मकता का प्रदर्शन किया है और उनका आदर्श एक ओपन, विश्वविद्यालयों के लिए खुला और स्वागतपूर्ण माहौल बनाने की योजनाओं पर आधारित है।
उन्होंने इस मामले को एक मानवीय दृष्टिकोण से भी देखा है और बताया है कि कनाडा एक संवेदनशील और विविधतापूर्ण समाज है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को स्वागत किया जाता है। उन्होंने यह भी दर्शाया है कि कनाडा की सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को महत्व देती है और विद्यार्थियों के विदेशी अनुभव को प्रमुखता देती है। इसलिए, छात्रों को न्यायपूर्णता और निष्पक्षता के साथ संबंधित प्रक्रियाओं में शामिल होने का मौका मिलना चाहिए।
प्रधानमंत्री ट्रूडो ने यह भी मान्यता दी है कि विदेशी छात्रों का देश से डिपोर्ट करना एक गंभीर प्रक्रिया है और इसे केवल तब ही अपनाया जाना चाहिए जब वे कठिनाईयों का सामना करते हैं और उनकी कार्रवाई उचित और विधानसंगत होती है।
इस विवाद के पीछे, भारतीय छात्रों के डिपोर्टेशन के मामले में एक संबंधित मामला उठा था, जिसमें कई छात्रों को वीज़ा नियमों की उल्लंघन के कारण डिपोर्ट किया गया था। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने यह स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार छात्रों के परेशान करने के हक में नहीं है और विद्यार्थियों को उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।