‘जिन अधिकारियों ने गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी करने वालों को बचाया, उन्हें पंजाब सरकार ने दिए बड़े पद’, आम आदमी पार्टी के विधायक ने किया बड़ा खुलासा

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चंडीगढ़ , पंजाब 10 अप्रैल 2022 (नवीन चन्द्र पोखरियाल, सचित गौतम)

पंजाब में आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह को लेकर खबर है कि कल उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाला था जिसमें उन्होंने अपने पार्टी के फैसले पर सवाल खड़े किए थे। आईपीएस होने के बावजूद राजनीति में आकर अपनी अच्छी जगह बनाने वाले कुंवर विजय प्रताप सिंह ने अपने पोस्ट में दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को दी गई नई जिम्मेदारी पर आपत्ति जताई थी। इन अधिकारियों के नाम प्रबोध कुमार और अरुण पाल सिंह है। बताया जा रहा है कि अभी हाल में प्रबोध कुमार को इंटेलिजेंस चीफ और अरुण पाल को अमृतसर का पुलिस आयुक्त नियुक्त गया था जिसके बाद कुंवर प्रताप का पोस्ट आया, लेकिन कुछ घंटों बाद इसे हटा भी दिया गया।

अब सोशल मीडिया पर कुंवर प्रताप सिंह के नाम वाले अकॉउंट से साझा पोस्ट शेयर हो रहा है। मीडिया खबरों के अनुसार, इसी पोस्ट को कुंवर प्रताप सिंह ने शेयर किया था। इस पोस्ट में कुंवर विजय प्रताप सिंह ने अपने इस्तीफे वाले दिन से लेकर बात शुरू की और दो राजनीतिक परिवारों का जिक्र किया जिन्हें उनके इस्तीफे से दिक्कत थी। इसके बाद उन्होंने एक पुराने बेअदबी के मामले को लेकर दो अधिकारियों की नियुक्ति पर आपत्ति जाहिर की।

अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि आम आदमी पार्टी से पंजाब की जनता को बहुत उम्मीदें थी कि वो बरगाड़ी बहिबल कोतकापुर मामले में जनता को न्याय दिलाएगी। इसलिए उन्होंने पार्टी स्तर पर दोबारा से दो पुलिस अधिकारियों की नियुक्तियों पर विचार करने को कहा है जो बेअदबी के मामले के मामले में एसआईटी टीम का हिस्सा थे, पर राजनीतिक परिवारों को समर्थन देते थे।

अपने पोस्ट में उन्होंने बताया कि इन्हीं दो अधिकारियों के चलते बरगाड़ी-बहिबल-कोतकापुर मामले में न्याय नहीं मिल पाया था। साझा पोस्ट बताता है कि बेअदबी मामले की जाँच में जो एसआईटी गठित हुई थी उसमें वो तीसरे नंबर पर थे। जिन दो अधिकारियों ने राजनीतिक परिवारों का बचाव किया उनमें से पहले वाले को इंटेलिजेंस चीफ बनाया गया है और दूसरे को अमृतसर जैसे पावन शहर का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया।

इस पोस्ट में कुंवर विजय प्रताप सिंह ने अपील की हुई थी कि पार्टी इन दोनों अधिकारियों की नियुक्ति पर विचार करे। पोस्ट के मुताबिक आप विधायक ने इस संबंध में मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी पत्र लिखा था ताकि बरगाड़ी मामले में न्याय हो सके। हालाँकि अब, आप विधायक के सोशल मीडिया से ये पोस्ट डिलीट हो चुका है।

बरगाड़ी बहिबल कोतकापुर बेअदबी मामला और गोलीकांड

आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी विधायक ने जिस बेअदबी केस की चर्चा अपने पोस्ट में की वो साल 2015 का है। उस समय 1 जून 2015 को बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारे साहिब से पावन ग्रंथ की चोरी हुई थी। 25 सितंबर 2015 को गुरुद्वारे के बाहर आपत्तिजनक व पुलिस प्रशासन को चुनौती देने वाले पोस्टर लगे थे। 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी के गुरुद्वारे के बाहर पावन ग्रंथ की बेअदबी की गई थी। 14 अक्टूबर को बहिबल कलां में पुलिस की फायरिंग में दो लोगों की मौत और 100 के घायल होने की खबर आई थी। इसके बाद 15 अक्टूबर को इस मामले में पहली एसआईटी गठित हुई थी जिसने दो भाइयों को पकड़ा लेकिन उन लोगों को बाद में रिहा कर दिया गया।

घटना के करीब एक माह बाद इस मामले की जाँच सीबीआई ने ली और 30 जून 2016 को जस्टिस जोरा सिंह ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। फिर कैप्टेन अमरिंदर सिंह सरकार में इस मामले की जाँच फिर शुरू हुई और जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन हुआ। कैप्टेन सरकार ने डेढ़ साल बीतते ही कोटकपूरा मुख्य चौक पर फायरिंग करने के मामले में अज्ञात पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हुई। 16 अगस्त को जस्टिस रणजीत सिंह आयोग ने अपनी रिपोर्ट सीएम को दी और 10 सितंबर को दोबारा एडीजीपी प्रबोध कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन हुआ। ये एसआईटी बेअदबी का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस फायरिंग के दोनों मामलों की जाँच में थी। लेकिन पिछले साल अप्रैल में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एसआईटी द्वारा की गई जाँच को रद्द करने का आदेश दे दिया था।

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