गालीबाजों’ को प्रधानमंत्री की दो टूक, बोले- हम वो जो नदी में मां और कंकड़ में शंकर देखते हैं

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लाल किले की प्राचीर से देश के अमृत महोत्सव पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में अपनी पीड़ा बयान की. उन्होंने कहा कि वो अपने दिल की बात किससे कहें कि नारी का अपमान बंद हो.

पीएम ने कहा, ‘हमारे बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में हम नारी का अपमान करते हैं. क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं.’ मोदी यह बोलते हुए कुछ भावुक दिखे.. इन लाइनों को बोलते-बोलते वह कुछ देर के लिए रुक भी गए.

इसी हफ्ते नोएडा के एक तथाकथित बीजेपी नेता श्रीकांत त्यागी के वायरल वीडियो में जिस तरह उसे एक महिला को गाली देते हुए देखा गया था, ऐसे नेताओं को पीएम मोदी के आज के स्पीच से एक सबक मिल सकता है. देश के सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति महिलाओं के अपमान के लिए दुखी है और देश की जनता से इस आदत को छोड़ने की अपील कर रहा है. मतलब साफ है कि महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार करने वाले सावधान हो जाएं. यह एक संदेश है शासन और प्रशासन को.
‘हम वो हैं, जो जीव में शिव और नर में नारायण देखते हैं’

पीएएम ने कहा कि हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं. पीएम ने नारी शक्ति के सम्मान की बात भी कही. पीएम ने कहा कि नारी के अपमान से मुक्ति का संकल्प लें.

पीएम ने कहा कि नारी का गौरव राष्ट्र का संकल्प पूरा करने में अहम. नारी का अपमान किया जाना ठीक नहीं. नारी के सम्मान में ही राष्ट्र गौरव. देश में हर हाल में नारी का सम्मान जरूरी. अपने संबोधन में पीएम बोले कि जिस प्रकार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है. भारत की धरती से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है.
आत्मनिर्भर भारत समाज का जनआंदोलन

आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जो जूझ रहा है. ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है. इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है. आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है. आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है. ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है.

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