पांच प्रदेशों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू, इस समय हो सकता है तारीखों का ऐलान

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नई दिल्ली, 14 दिसंबर: अगले साल की शुरुआत में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की घोषणा किसी भी समय हो सकती है। चुनाव आयोग ने इसके संबंध में संकेत देने शुरू कर दिए हैं।

अगले साल फरवरी-मार्च में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर विधानसभाओं के लिए चुनाव होने हैं। इसके लिए चुनाव आयोग कल (बुधवार) पंजाब से चुनाव तैयारियों की समीक्षा के लिए अपनी परंपरागत दौरे की शुरुआत कर रहा है। चुनाव तारीखें तय करने से पहले आयोग सभी संबंधित पक्षों से इस विषय पर चर्चा कर लेना चाहता है। माना जा रहा है कि फरवरी से मतदान की शुरुआत हो सकती है और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में 6 से लेकर 8 चरणों तक में चुनाव करवाए जा सकते हैं।

खबरों के मुताबिक पंजाब के बाद चुनाव आयोग अगले हफ्ते पहले गोवा और फिर उत्तराखंड में चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए वहां के दौरे पर जा सकता है। चुनाव आयोग में अभी सुशील चंद्रा मुख्य चुनाव आयुक्त हैं और राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे चुनाव आयुक्त हैं। हालांकि, आयोग उत्तर प्रदेश के दौरे पर कब जाएगा, यह तय होना बाकी है। वैसे माना जा रहा है कि उत्तराखंड की यात्रा के बाद आयोग यूपी में चुनाव तैयारियों का जायजा लेने के लिए जा सकता है। खास बात ये है कि उत्तर प्रदेश सबसे पड़ा राज्य है और इसलिए वहां चुनावों के चरण भी सबसे ज्यादा होने की संभावना है।

संकेतों से लग रहा है कि चुनाव आयोग अगले साल जनवरी (2022) महीने के शुरू में ही चुनाव तारीखों की घोषणा कर सकता है। चुनाव आयोग पहले ही मतदान वाले राज्यों से 1 जनवरी, 2022 को संदर्भ तिथि मानकर ताजा मतदाता सूची प्रकाशित करने को कहा हुआ है। कुछ राज्यों ने तो वादा किया है कि वह 1 जनवरी को ही संशोधित मतदाता सूची प्रकाशित कर देंगे, जबकि यूपी को लेकर संभावना है कि वह 5 जनवरी, 2022 को इसे प्रकाशित करेगा। सामान्य तौर पर चुनाव आयोग मतदान वाले राज्यों में ताजा मतदाता सूची प्रकाशित होने तक चुनावों की घोषणा की प्रतीक्षा करता है, लेकिन यह कोई अनिवार्य प्रक्रिया नहीं है।

मतदान संबंधित तारीखों की घोषणा से पहले चुनाव आयोग चुनाव वाले राज्यों के दौरे पर इसलिए जाता है, ताकि स्थानीय प्रशासन से वहां के त्योहारों, मौसम की स्थिति, फसल चक्र, कानून-व्यवस्ता की स्थिति के साथ-साथ सेंट्रल फोर्स की जरूरतों को लेकर चर्चा कर सके। इस समय कोविड प्रोटकॉल भी चर्चा का एक अहम मुद्दा है। इसके अलावा आयोग चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों के लोगों के साथ भी उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत करता है।

आखिरकार चुनाव आयोग तारीखों पर फैसला करने से पहले गृह मंत्रालय के अधिकारियों से भी मीटिंग करता है, ताकि चुनावों के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इसी आधार पर चुनाव आयोग को चुनावों के चरण और तारीखें निर्धारित करने में सहायता मिलती है। वैसे संकेत हैं कि वोटिंग की शुरुआत फरवरी में किसी समय हो सकती है और यूपी में जो पिछले चुनावों में देखा गया है, उससे लगता है कि वहां 6 से 8 चरणों में चुनाव करवाए जा सकते हैं, जो एक महीने तक भी खिंच सकता है। पांचों राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 15 मार्च से लेकर 14 मई तक समाप्त हो रहा है।(तस्वीरें-फाइल)

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