कलयुग में ऐसे बेटे-बहू भी हैं -धन्य है इन दोनों के माता-पिता, जिन्होंने अपने बच्चों को दिए हैं ऐसे संस्कार, कलयुग के इस दौर में बहू और बेटे ने ”श्रवण कुमार” की तरह माता-पिता को कांवड़ में बिठा करवाई 105 किमी की यात्रा

नई दिल्ली 18 जुलाई 2022 (नवीन चन्द्र पोखरियाल, सचित गौतम)
आज के इस आधुनिक युग में विश्व गुरु रहे भारतवर्ष में भी भारतीय संस्कृति के पतन का दौर बदस्तूर जारी है और बच्चे संस्कार विहीन होते जा रहे हैं। पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति भारतीयों पर हावी होती जा रही है।कलयुग के इस दौर में ऐसा कम ही देखने को मिला है कि बेटे और बहू ने एक साथ अपने मां-बाप को कांधे पर बिठाकर कर तीर्थ कराया हो। दरअसल, ऐसी एक वाक्या उस दौरान देखने को मिला जब बिहार के जहानाबाद के रहने वाले चंदन कुमार और उनकी पत्नी रानी देवी माता-पिता को देवघर ले जाने के लिए श्रवण कुमार बन गए।
दरअसल, सावन के मेले में ये दंपति अपने माता-पिता को श्रवण कुमार की तरह कांधे पर लादकर बाबाधाम की यात्रा पर निकले हैं। जिसकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
चंदन कुमार ने इस यात्रा के बारे में बताया कि हम प्रत्येक महीने सत्यनारायण व्रत का पूजन करते हैं और उसी के दौरान मन में इच्छा जाहिर हुई माता और पिताजी को बाबाधाम की पैदल तीर्थ कराऊं। क्योंकि माता और पिताजी वृद्ध हैं तो ऐसे में 105 किलोमीटर की लंबी यात्रा पैदल तय करना उनके लिए संभव नहीं था। चंदन ने बताया कि इसके लिए मैंने अपनी पत्नी रानी देवी से बात की तो उन्होंने भी में इस सेवा के लिए साथ देने की बात की।
चंदन ने बताया कि इसके बाद मैंने निर्णय लिया कि माता-पिता को हम बहंगी में बिठाकर अपने कंधे के बल इस यात्रा को सफल करेंगे। इसी दौरान मैंने एक मजबूत कांवड़नुमा बहंगी तैयार करवायी और रविवार को सुल्तानगंज से जल भरकर उस बहंगी में आगे पिताजी और पीछे माताजी को बिठाकर यात्रा शुरू कर दी।
वहीं इस पर बहू रानी ने बताया कि हम लोग खुश हैं कि अपने सास-ससुर को बाबाधाम की यात्रा कराने निकले हैं और लोग भी हम लोगों को हिम्मत दे रहे हैं और प्रशंसा कर रहे हैं। चंदन की माता ने बताया कि हम तो आशीर्वाद ही दे सकते हैं. भगवान से प्रार्थना है कि मेरे पुत्र को सबल बनाएं।