टिकट बंटवारा : अपनों से दूरी, बेगानों पर भरोसा, जानिए भाजपा का हिमाचल फतह प्लान क्या है

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हिमाचल के सर्द मौसम में राजनीतिक सरगर्मी तेज है, कांग्रेस से उम्मीदवारों की सूची जारी होने के तुरंत बाद बीजेपी ने भी 62 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, ये संकेत है कि बीजेपी किसी भी मोर्चे पर खुद को कमजोर नहीं रखना चाहती, बीजेपी ने अपनी पहली ही सूची में 10 विधायकों का पत्ता साफ कर दिया है, 1 मंत्री का टिकट काटा गया है और दो कद्दावर मंत्रियों की सीट बदली गई है.

ये इस बात का संकेत है कि बीजेपी किसी भी मोर्चे पर खुद को कमजोर नहीं रखना चाहती है. बीजेपी ने अपनी पहली ही सूची में 10 विधायकों का पत्ता साफ कर दिया है, 1 मंत्री का टिकट काटा गया है और दो कद्दावर मंत्रियों की सीट बदली गई है. सूची में कई ऐसे नाम भी हैं जो ये साफ संकेत दे रहे हैं कि इस बार बीजेपी को अपनों से ज्यादा बेगानों पर भरोसा है, लेकिन क्या ये फेरबदल हिमाचल में बीजेपी की जीत की गारंटी बन पाएंगे.

बीजेपी की ओर से टिकट खासकर उन उम्मीदवारों को दिया गया है जिन्हें पार्टी की जीत की गारंटी माना गया है, तमाम नाराजगी ओर विरोध होते हुंए भी पार्टी ने कई ऐसे लोगों के टिकट काट दिए हैं जो पार्टी को अंदरखाने क्षति पहुंचा सकते हैं, इसके अलावा विधायकों का टिकट काटे जाने से पार्टी ने ये भी संदेश देने की कोशिश की है कि जो पार्टी में काम नहीं करेगा उस पर गाज गिरनी तय है.

जातीय गणित साधने की कोशिश

बीजेपी की ओर से घोषित किए गए 62 में से 19 उम्मीदवार एससी/एसटी हैं, खास बात ये है कि इनमें से 8 उम्मीदवार एसटी हैं, जबकि राज्य में एसटी आरक्षित सीटें महज 3 हैं, ऐसे में साफ है कि बीजेपी आदिवासियों का भरोसा जीतना चाहती है, इसके अलावा राज्य में अनुसूचित जाति के लिए 17 सीटें आरक्षित हैं, पिछली बार का आंकड़ा देखा जाए तो बीजेपी को दलितों का तकरीबन 47 फीसद वोट मिला था, इस वोट बैंक को बचाए रखने के लिए भी पार्टी ने दलित उम्मीदवारों की संख्या को बढ़ाया है. इसके अलावा सूची में ब्राह्रमण और राजपूत उम्मीदवारों की भी अच्छी खासी संख्या है, पिछली बार बीजेपी को ब्राह्मण मतदाताओं का 56 फीसद और राजपूत मतदाताओं का 49 फीसद वोट मिला था. बीजेपी इस वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है.

भाजपा को हराने वालों को भी टिकट

बीजेपी ने जोगिंदरनगर सीट से कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर के ससुर गुलाब सिंह का टिकट काटकर प्रकाश राणा को उम्मीदवार बनाया है, 2017 के चुनाव में निर्दलीय मैदान में कूदे प्रकाश राणा ने ही गुलाब सिंह को पराजित किया था, गुलाब सिंह प्रेम कुमार धूल के रिश्तेदार हैं, ऐसे में प्रकाश राणा को पार्टी में शामिल किए जाने को लेकर धूमल खेमा पहले ही विरोध जता चुका है, अब टिकट मिलने पर निश्चित ही ये नाराजगी ओर बढ़ी होगी, इसके अलावा बीजेपी ने कांगड़ा से पवन काजल और नालागढ़ से लखविंद्र को टिकट दिया है, 2017 के चुनाव में इन्हीं उम्मीदवारों ने कांग्रेस से चुनाव लड़कर बीजेपी के उम्मीदवारों को हराया था. पहले से ही ये संकेत जताए जा रहे थे कि अगर इन उम्मीदवारों को टिकट मिला तो बीजेपी में अंदरखाने कलह हो सकती है, नालागढ़ से तो केएल ठाकुर खुद कई बार चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके थे.

सिर्फ 5 महिला उम्मीदवारों को मौका

बीजेपी ने 62 उम्मीदवारों की सूची में सिर्फ 5 महिलाओं को टिकट दिया है, 2017 और 2012 चुनाव की बात करें तो पार्टी की ओर से सात-सात महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा गया था, इनमें से 2012 में चार और 2017 में महज तीन महिला उम्मीदवारों को ही जीत मिल सकी थी. चूंकि इस बार बीजेपी मिशन रिपीट को लेकर काम कर रही है, इसीलिए ऐसी महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है जिनकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही है, चंबा सीट से मौजूदा विधायक पवन नैयर का टिकट काटकर इंदिरा कापूर को टिकट दिया जाना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, इसके अलावा शाहपुर से सरवीण चौधरी, पच्छाक से रीना कश्यप, इंदौरा से रीता धीमान और रोहड़ू से शशिबाला को उम्मीदवार बनाया गया है.

एक परिवार से एक टिकट

बीजेपी की सूची में तीन नाम ऐसे हैं जो इस बात की बानगी हैं कि पार्टी ने एक परिवार-एक टिकट की परंपरा को कायम रखा है, इनमें पहला नाम है धर्मपुर विधानसभा सीट से आठ बार विधायकी का चुनाव जीतने वाले मंत्री महेंद्र सिंह का, इस बार उनका टिकट काटकर उनके बेटे रजत ठाकुर को टिकट दिया गया है, इसके अलावा दूसरा नाम हैपूर्व मंत्री नरिंदर ब्रगटा के पुत्र चेतन ब्रगटा का, चेतन ब्रगटा वहीं हैं, जिन्होंने 2021 में नरिंदर ब्रगटा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में निर्दलीय मैदान में उतरकर बीजेपी प्रत्याशी का गणित बिगाड़ दिया था. इस बार बीजेपी ने उन्हें मौका दिया है. इसके अलावा भोरंज सीट से पूर्व मंत्री आईडी धीमान के बेटे अनिल धीमान को मौका दिया गया है.

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