चांद के आसपास ट्रैफिक जाम!चंद्रयान: तीन चंद्रमा के आर्बिट पर नहीं है अकेला,जानिए पूरी कहानी

0

चंडीगढ (आज़ाद वार्ता)

भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा की आर्बिट में पहुंच चुका है। यह लगातार चंद्रमा के चारों की आर्बिट में भ्रमण करते हुए उनके नजदीक जाने के लिए कक्षा को कम कर रहा है।
हालांकि, चंद्रमा की आर्बिट पर केवल चंद्रयान मिशन नहीं बल्कि कई और मिशन्स के होने से पूरी मून आर्बिट विभिन्न मिशन्स से गुलजार है। लूनर ट्रैफिक बढ़ती ही जा रही है। जुलाई 2023 तक चंद्रमा छह सक्रिय मून आर्बिट्स और रास्ते में कई अन्य के साथ मिशनों का एक हलचल केंद्र बनने के लिए तैयार है।

चांद के आर्बिट में इस समय कौन-कौन मिशन

फिलहाल चांद की राह के ट्रैफिक में नासा का लूनर रिकॉनेशेंस आर्बिटर (एलआरओ), नासा के ARTEMIS के तहत THEMIS मिशन, भारत का चंद्रयान-3 मिशन, कोरिया का पाथ फाइंडर लूनर आर्बिटर (KPLO) और नासा का कैपस्टोन है।

जून 2009 में एलआरओ लॉन्च किया गया था। एलआरओ 50-200 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा की परिक्रमा करता है। यह चांद के सरफेस का हाई-रिज़ॉल्यूशन मैप भेजता रहता है। जून 2011 में चंद्र कक्षा में डाले गए ARTEMIS P1 और P2 प्रूब, लगभग 100 किमी x 19,000 किमी ऊंचाई की स्थिर भूमध्यरेखीय, हाई-इसेंट्रीसिटी आर्बिट्स में काम करते हैं। चंद्रयान-2 2019 में अपने विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद 100 किमी की ऊंचाई वाली ध्रुवीय कक्षा में काम कर रहा है। केपीएलओ और कैपस्टोन भी मून ट्रैफिक में योगदान करते हैं। कैपस्टोन एक नियर-रेक्टिलिनियर हेलो ऑर्बिट (एनआरएचओ) में काम करता है।

अभी और व्यस्त होने जा रहा है मून ट्रैफिक

मून हाईवे अभी और व्यस्त होने वाला है। रूस का लूना 25 मिशन 10 अगस्त 2023 को लॉन्च होने वाला है। लूना 25 मिशन के 16 अगस्त 2023 तक चंद्र कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है। मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पता लगाना है। यह47 साल के अंतराल के बाद चंद्रमा की सतह पर रूस की वापसी का प्रतीक है। लूना-25, 100 किमी की ऊंचाई वाली कक्षा में चंद्र कक्षाओं में शामिल होगा। 21-23 अगस्त 2023 के बीच चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला है।

लूना 25 के अलावा नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम चल रहे चंद्र मिशनों की भी योजना बना रहा है। आर्टेमिस 1, एक मानव रहित परीक्षण उड़ान ने 2022 के अंत में चंद्रमा की परिक्रमा की और उससे आगे उड़ान भरी। भविष्य के आर्टेमिस मिशनों से चंद्र यातायात में वृद्धि होने की उम्मीद है। दरअसल, चंद्रमा इन दिनों वैज्ञानिकों की डिस्कवरी और रिसर्च का केंद्र बनता जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *